web

HTML Document, Basic Structure of HTML

HTML Document

एक HTML Document को HTML File के रूप में भी जाना जाता है, यह एक Text Based File है| जिसमें Web Page बनाने के लिए use किया जाने वाला Code होता है। Code को HTML (Hyper Text Markup Language) में लिखा गया है, जो एक Markup Language है| जिसका use Web Page के Content को Structure करने और Text, Image, Link और Multimedia जैसे Element को Add करने के लिए किया जाता है।

Technical Term में, एक HTML Document में Element की एक Series होती है, जिनमें से प्रत्येक HTML Tags को एक Set द्वारा Define किया जाता है। Tag का use Document का Structure और Content को Define करने के लिए किया जाता है, और Web Browser किसी Web Page को Display करने के लिए इस Infomartion का use करता है।

एक HTML Document आमतौर पर Document Type Declaration के साथ शुरू होता है, जो use किए जा रहे HTML के Version को Specify करता है। इसके बाद HTML Element आता है, जो Document में अन्य सभी Element के लिए एक Container के रूप में कार्य करता है। HTML Element के भीतर, दो मुख्य भाग होते हैं- Head और Body।

Head Section में Document के बारे में Information होती है, जैसे कि Title, जो Browser के Title Bar में Display होता है, और Metadata, जैसे Keywords और Description, जो Search Engine में use किए जाते हैं। Body Section Contain में Text, Image, Link और अन्य Element सहित Web Browser की Main Content होते है।

HTML Code Tags या Hidden हुए Keywords पर Based होता है| जो Document को Formatted करने के लिए Instruction Provide करता है। एक Tags Code Bracket और Less Than (<) Sign से शुरू होता है । और Tag Code Bracket ‘Greater Than’ Sign (>) के साथ End होता है । Tag Processing Program को बताते हैं| Web Browser, Text के साथ क्या करना है।

Example – ‘Hello’ word को Bold बनाने के लिए Opening bold tag <b> और फिर Closing bold tag </b> का use करते है |HTML को World Wide Web Consortium द्वारा Define किया गया है, जो एक Organisation है| जो Internet के Standard को Control करता है। HTML के प्रत्येक Version में Definition का एक सेट होता है। HTML एक Programming Language नहीं है। जबकि हम HTML Markup को HTML code के रूप में Refers करते है| HTML Developer को Text Document को Attractive बनाने की अनुमति देता है।

Basic Structure of HTML

HTML के Structure को समझना बहुत ही जरुरी होता हैं । यहाँ से HTML code की शुरुआत हो जाती हैं । HTML Structure शुरुआत से लेकर आखिर तक आपको use करना पड़ता हैं। किसी भी Webpage को बनाने के लिए सबसे पहले HTML Document के Structure को ही Define करना पड़ता हैं ।


<!DOCTYPE html>

<html>

<head>

<title>Web title is here</title>

</head>

<body>

Main content is here – (Container)

</body>

</html>

Explaintion

  • <DOCTYPE html>इससे पता चलता है, कि Webpage HTML Type में है |
  • <html>यह Starting Tag होता है, जिसके अंदर सभी HTML Tag लिखे जाते है |
  • <head>यहाँ पर Webpage के लिए Meta Tag लिखे जाते है |
  • <title> Webpage के लिए Title लिखने के लिए होता है |
  • <body>यहाँ पर लिखे गए Content Browser में Display होते है |

HTML Syntax

एक HTML Tag के तीन Part होते है-

Opening Tag

Opening Tag को Start Tag भी कहा जाता है| Start Tag का Work Browser को बताना है, कि अब ये Rule Define हो रहा है| ताकि Browser उस Tag को सही तरह से Read कर सके| Opening Tag को इस प्रकार लिखा जाता है|


<Tag Name>

Text

Text वह Information होती है| जो Web page में Write की  जाती है| आप जो Information अपने Users को बताना चाहते है| वह Text यहाँ लिखा जाता है| Text लिखने के बाद Syntax कुछ इस प्रकार दिखाई देता है|


<Tag Name> Text </Tag Name>

Closing Tag

Closing Tag को End Tag भी कहते है| End Tag से Browser को Opening Tag द्वारा Define Rule की Ending के बारे में बताया जाता है| ये तीन Elements मिलकर एक HTML Tag का Syntax बनाते है| इन्हे एक साथ इस प्रकार लिखा जाता है| एक HTML Tag का पूरा Syntax है|


<Tag Name> Text is here </Tag Name>

Closing Tag को Opening Tag से अलग बनाने के लिए Forward Slash (/) का use किया जाता है|

HTML Tag and Attribute

HTML Tag

  • <DOCTYPE html> इससे पता चलता है, कि Web Page HTML Language में है |
  • <html> यह Starting Tag होता है, जिसके अंदर सभी HTML Tag लिखे जाते है |
  • <head> यहाँ पर Web Page के लिए Meta Tag लिखे जाते है |
  • <title> Web Page के लिए Title लिखने के लिए होता है |
  • <body> यहाँ पर लिखे गए Content Browser में Display होते है |
  • <H1> to <H6>  ये Heading Elements है| Heading Element द्वारा HTML Document में Heading को Define किया जाता है|HTML में H1 से H6 Level तक Headings बना सकते है|
  • <P>  इसे Paragraph Element कहते है| इसका use HTML Document में Paragraph Define करने के लिए किया जाता है|
  • <Hr> Element का पूरा नाम Horizontal Line है| Hr Element से HTML Document में Horizontal Line को Define किया जाता है|
  • <Br> Element का पूरा नाम Break है| Br Element का use Single Line Break देने के लिए किया जाता है| आप एक Line को अलग-अलग Line में Divide कर लिख सकते है|

HTML Attribute

HTML Tags का use करते समय उनके बारे में Additional Information भी लिखनी पडती है| जैसे HTML Document में Image Insert करने के लिए Image Tag का use किया जाता है| Image Tag अकेला किसी Picture को Webpage में Insert नही कर सकता है| इसके लिये Image Address या Source के बारे में Tag को बताना पडता है| इस Information को ही Attribute कहते है| जिसके लिए Image Tag के src Attribute का प्रयोग किया जाता है|

HTML Attribute के Features

  • HTML Attribute Tag/Element को Information Provide करता है| या HTML Element का एक Researcher होता है |
  • हर एक Element या Tag के Attribute हो सकते है | जो Element के Behavior को Define करता है |
  • HTML Attribute हमेशा Starting Tag से Apply होता है| और Quotation Mark(“) से Close होता है |
  • Attribute हमेशा इसके Name और Value से Add होना चाहिए |
  • HTML Attribute में Name और Value Case Sensitive होता है |

Example


<element attribute_name=”value”>content</element>

Type of HTML Tag

HTML Language में विभिन्न प्रकार के Tags होते है| प्रत्येक Tag का use अलग-अलग Elements को Define करने के लिये किया जाता है| HTML Tags के दो प्रकार होते है|

Paired HTML Tags

Paired HTML Tags वे HTML Tags होते है| जिनको Pair में लिखा जाता है| एक Paired Tag के दो भाग होते है| पहला Opening Part होता है| जिसे इस प्रकार लिखा जाता है|

Example


<Tag Name>

दूसरा भाग Closing Part होता है| इस भाग को Content या Text के बाद लिखा जाता है| इस भाग को इस प्रकार Define किया जाता है| HTML में अधिकतर Tag, Paired Tag ही होते है|

Example


</Tag Name>

Unpaired HTML Tag

Unpaired Tag को Singular HTML Tag भी कहा जाता है| ये Tag अकेले होते है| एक Unpaired Tag में Opening Part और Closing Part को एक साथ ही लिखा जाता है| एक Singular Tag को HTML Document में इस प्रकार Define किया जाता है|

Example


<Tag Name />

web

Need of Cyber Security and IT Laws

Cyber Security

Cyber Security, Hardware, Software और Data सहित Internet से Connected System को Malware, Hacking और Data Breaches जैसे Cyber Threat से बचाता है। इसमें Network Security, Application Security, Data Security, Endpoint Security, Identity and Access Management तथा Disaster Recovery और Business Continuity सहित Network, System और Data को Protect करने के लिए Technologies और Practices का use Included है। Cyber Security का Goal Cyber Threat के जोखिम को कम करना, Sensitive Information की रक्षा करना और Organizations के Operation की Continuity सुनिश्चित करना है।

Need of Cyber Security

Cyber Security की आवश्यकता Personal और Business Activities दोनों के लिए Technology और Internet पर बढ़ती निर्भरता से उत्पन्न होती है। Digital Device, Network और Internet के बढ़ते use के साथ Cyber Attack का Risk भी बढ़ गया है। इसने Sensitive Information और System को नुकसान से बचाने के लिए Effective Cyber Security Measure की आवश्यकता पैदा की है।

  • Protecting Sensitive Information: Sensitive Information जैसे Financial Data, Personal Information और Intellectual Property को Unauthorized Access से बचाने के लिए Cyber Security Measure की आवश्यकता है।
  • Preventing Data Breaches: Data Breache को रोकने के लिए Cyber Security Measure की आवश्यकता होती है, जिसके परिणामस्वरूप Sensitive Information की हानि या चोरी हो सकती है। Data Breache के Individuals और Organizations दोनों के लिए गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिनमें Reputation Loss, Revenue Loss और Regulatory Penaltie शामिल हैं।
  • Defending Against Cyber Attacks: Cyber Attack से बचाव के लिए Cyber Security Measure की आवश्यकता होती है, जैसे Malware Infections, Hacking Attempts और Denial-of-Service Attacks। ये Attack System और Data को नुकसान पहुंचा सकते हैं, और सामान्य Operations को बाधित कर सकते हैं।

अथवा

  • Private Data जैसे कि Image, PDF, Text Document या अन्य किसी भी प्रकार के Data जो हमारे Computer में रहता है, उसको Secure करने के लिए Cyber Security की Necessary होती है|
  • ऐसा कोई भी Data जिसमे सिर्फ हमारा Copyright होता है, उसे Secure रखने के लिए Cyber Security बहुत जरुरी है| जैसे की अगर आपकी कोई Company है, उसके Data पर सिर्फ आपका ही Copyright होता है| तो उसे कोई चुरा ना ले या कोई दूसरा व्यक्ति उसे use ना कर पाए इसके लिए यह जरुरी है|
  • Banking और Financial Data को Security Provide करने के लिए भी Cyber Security बहुत जरुरी है, क्योकि अगर Banking Data Secure नहीं रहेगा तो कोई भी Hacker Bank Account से पैसा निकाल सकता है|
  • National Security के लिए भी Cyber Security की बहुत Need होती है| National Security का मतलब है, की आजकल हमारे देश के Defense System में भी Cyber Attack होते हैं|
  • कुछ ऐसे Data या Information होते हैं, जो बहुत Important और Sensitive होते हैं| जैसे कि आजकल Government Offices में भी ज्यादातर Work Internet के द्वारा ही किया जाता है|

IT Laws

Information Technology Act 2000 को IT Act 2000 भी कहते है| यह Indian Parliament का एक Act है तथा इसे 17 अक्टूबर 2009 को एक Announcement के द्वारा इसे Modify किया गया था| यह  Act Cyber Crime, E-commerce से Related Law है|

हम सभी Internet में बहुत Activities करते है| Example:- Browsing, Selling, Surfing आदि| तो इन सभी को Secure करने के लिये एक Act बनाया गया जिसे हम IT Act 2000 कहते है| इस Act के तहत आपको Information Technology का use करने के Provision क्या है, Rules क्या है, ये बताये गये है|

आजकल हमारे सभी Work Electronically होता है, पहले हम Verbal Communication करते थे| परन्तु हम आजकल Communication (Example – Facebook, whatsapp, Twitter आदि) से करते है| पहले Luggage, Store में जाकर Buy करते थे परन्तु आज E-commerce Website (Example – Amazon,Flipkart) से Buy कर लेते है| और हमारी Governance भी E-Governance हो गयी है|

IT Act में 13 Part तथा 90 Section है, तथा यह Indian Panel Code – 1860, Indian Evidence Act – 1872, Bankers book evidence Act – 1891, Reserve Bank of India Act – 1934 आदि पर Based है|

web

Developer Tools and Inspect Element

Developer Tools

Developer Tools, जिसे DevTools भी कहा जाता है| Web Browser में Integrated Software Application का एक Suite है, जो Developers को Web Pages और Web Application को Inspect, Debug और Analyze करने के लिए Interface Provide करता है। ये Front-End Developer के लिए एक Valuable Tools के रूप में काम करते हैं, जिससे उन्हें Real-Time में Web Application के विभिन्न Aspects को Modify और Optimize करने की Permission मिलती है। Developer Tools Productivity बढ़ाने, Issues Detect करने और Web Project को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

  • Integrated Development Environments (IDEs): ये Software Application हैं, जो Software Development के लिए एक Comprehensive Environment Provide करते हैं। ये Code Editor, Debugger, Compiler तथा एक ही Application में अन्य Tool का Integration करते हैं। Popular IDEs के Example – Visual Studio, Eclipse, and IntelliJ IDEA Included हैं।
  • Debuggers: Debuggers ऐसे Tool हैं, जिनका use Software Application में Errors (Bug) को Identify और Eliminate करने के लिए किया जाता है।
  • Source Code Management (SCM) Tools: Source Code Management Tools, Developer को अपने Source Code को Manage करने और Time के साथ किए गए Changes की Monitring करने की Permission देते हैं। ये Version Control Provide करते हैं, जिससे Developer को जरूरत पड़ने पर Code के Previous Version पर वापस जाने की Permission मिलती है। SCM Tool के Example – में Git, Subversion और Mercurial, Included हैं।
  • Build Automation Tools: Build Automation Tools, Software Application के Building की Process को Automate करता है| जिसमें Code Compiler, Running Test और Deployment के लिए Packaging Application जैसे Task Included होते हैं। Build Automation Tools के Example – Apache Ant, Apache Maven और Gradle Included हैं।
  • Code Editors: Code Editors, Simple Text Editors की तरह ही होते हैं| जिन्हें विशेष रूप से Software Development के लिए Design किया गया है। ये Coding Process को और अधिक कुशल बनाने के लिए Syntax Highlighting, Code Completion और Error Checking जैसे Feature Provide करते हैं। Code Editor के Example – Visual Studio Code, Sublime Text, और Atom Included हैं।
  • Code Quality Tools: Code Quality Tools का use Software Code को Analyze करने और Code Quality पर Feedback Provide करने के लिए किया जाता है, जिसमें Code Complexity, Maintainability और Test Coverage जैसे Metrics Included हैं। Code Quality Tool के Example – SonarQube, CodeClimate, और JSHint Included हैं।
  • Profilers: Profilers Tool जिनका उपयोग Software Application के Performance को Analyze करने और Bottlenecks और Inefficiencies की पहचान करने के लिए किया जाता है।

Inspect Element

“Inspect Element” अधिकांश Web Browser में पाई जाने वाली एक Characteristic है, जो Developers को Real Time में एक Website के HTML, CSS और JavaScript Code को Inspect और Modify करने की Permission देती है। यह Feature Debugging, Testing और Web Application के Prototype के लिए बेहद Useful होती है।

जब एक Web Browser में “Inspect Element” करते हैं, तो Page के HTML Source Code को Access कर सकते हैं, और उसमें Changes कर सकते हैं। Inspector में आपके द्वारा किए गए Changes तुरंत Browser में दिखाई देंगे| यह विशेष रूप से Layout Issues के Resolution, Style के Problem को Fix करने, या विभिन्न Design के Concept के साथ use करने के लिए उपयोगी है।

HTML Source Code के अलावा “Inspect Element” Feature एक Webiste के CSS और Javascript को Access Provide करती है। CSS Inspector के साथ, आप Page पर Apply की गई Style को देख सकते हैं, साथ ही नई Style को Modify या Add कर सकते हैं। यह Cross-Browser Compatibility Problem को Fix करने या Page पर Specific Element के लिए Custom Style बनाने के लिए use हो सकता है।

JavaScript Inspector आपको JavaScript Code को देखने और Modify करने की Permission देता है ,जो Page Load होने पर Execute होता है। यह JavaScript Code Debug करने, Code में Changes को Test करने, या किसी Webiste में नई Functionality जोड़ने के लिए use होती है|

web

Webpage, Website and It’s types, Web Service

Webpage

Webpage, World Wide Web पर एक Single Document या Resource है, जिसे Web Browser के माध्यम से Access किया जा सकता है। यह HTML (Hyper Text Markup Language) में लिखा गया है, और इसमें User Experience और Interactivity को बढ़ाने के लिए CSS (Cascading Style Sheets) और JavaScript भी शामिल हो सकते हैं। Webpage किसी Website के Building Blocks होते हैं, प्रत्येक का Internet पर Address और उन तक Access करने के लिए अपना Unique URL (Uniform Resource Locator) होता है।

एक Webpage World Wide Web के लिए एक Document होता है, जिसे एक Unique Uniform Resource Locator (URL) द्वारा Identify किया जाता है। जो Generally HTML (Hyper Text Markup Language) में लिखा जाता है| जो Document Web Browser Example – Google Chrome, Mozilla Firefox, Internet Explorer में Display होता है| Webpage कहलाता है| एक Web Page बहुत Type के Data Available करा सकते हैं| Example – Text, Image, Animation, Audio, Video, Graphics etc|

जब आप Internet पर कुछ Search करते हैं, तो आपको बहुत Results Show होते हैं| और जब आप किसी एक Website को Open करते हैं, तो उसमें जो Current Page Open रहता है| उसे Web Page कहा जाता है| एक Website में Multiple Web Pages होते हैं| Webpage Server में Store रहता है, जहाँ से उसे Internet के द्वारा Access किया जा सकता है|

Characteristics of a Web Page

  • एक Simple Webpage को आसानी से Develop किया जा सकता है।
  • Webpage Develop करने में Website की तुलना में बहुत कम Time लगता है।
  • एक Webpage और एक Website को किसी भी Device जैसे Mobile, Desktop, Laptop आदि के साथ Compatible होना चाहिए।
  • Search Engine एक Link के माध्यम से एक Webpage Provide करता है, और जब कोई Users उस Link पर Click करता है, तो वह एक Website के Webpage पर Redirect हो जाता है।
  • एक Webpage में Video और Audio सहित किसी भी प्रकार की Information हो सकती है।

Website

Webpage के Collection को Website कहा जाता है | एक Website या Site एक ऐसा Location है जहाँ पर Webpage के Collection को Store किया जाता है | Web Page के First Page को Home Page कहते है | आप जो Content अभी Read कर रहे है वो भी एक Website पर ही है| जोकि https://thelearnify.in/ का एक Part है | Website को Open करने के लिए हम एक Application या Software का use करते हैं| जिसको हम Web Browser कहते है| Example – Google Chrome, Opera Mini, UC Browser|

Type of Website

Static Website

Static Website को मुख्य रूप से HTML (Hyper Text Markup Language) और CSS (Cascading Style Sheets) का use करके बनाया जाता है। Static Website में कुछ ऐसी Information जो किसी Company की Information हो और उस Information में Changing नहीं किया जा सके। एक बार Information डालने के बाद Fix हो वो Static Website होती है ।

Static Website को Develop करना Easy होता है| Static Site को Update करने के लिए आपको एक Web Developer की आवश्यकता पड़ती है| Static Websites Host करने में ज्यादा Expensive नहीं होती है, क्योंकि इसमें Database की आवश्यकता नही होती है| Static Site को लोग इतना पसंद नहीं करते क्योंकि इनमे Information हमेशा Stable होती है| इस प्रकार की Website पर सभी User को एक ही Information Show होती है, ये Static Website होती है|

Dynamic Website

Dynamic Website जो की बहुत ही Fast होती है, यह बार बार अपने Web Pages को Self Update करते रहती है| यहां तक कि किसी भी Image/Text Content को Upload किया जा सकता है। Example – के लिए Flipkart, Amazon, OLX |

Dynamic Website में Developer आसानी से Changing कर सकता है| Dynamic Website में Database की आवश्यकता होती है, क्योंकि Dynamic Website में Information Change होती रहती है इसीलिए ये थोड़ी Costly होती है| लोगो को भी ऐसी ही Website पसंद है जिनकी Information Update होती रहती है |

Responsive Website

Responsive Website का Main Purpose ऐसे Web Pages Create करना है, जो की Visitors की Screen Size and Orientation को Detect करे और उसी के अनुसार Layout को Change कर लेती है| इसके लिए ये CSS and HTML को use करके Pages and Content को Resize, Enlarge, Shrink या फिर Move करता है, जिससे की Content Screen Size के अनुसार Readable and View-able हो| जैसे-जैसे Internet Traffic Grow कर रहा है, Responsive Website Design और भी ज्यादा Important हो गयी है| क्योकि अब Users Laptop तथा Desktop के साथ-साथ Mobile and Tablets का भी बहुत ज्यादा use करने लगे है |

Web Services

Web Service Standardized Protocol और Technologies का एक Set है, जिसका use Network, विशेष रूप से Internet पर Machine-to-Machine Communication की Facility के लिए किया जाता है। ये विभिन्न Application और Platform को Platform-Independent और Language-Agnostic Manner से Data के साथ Interact और Exchange करने की Permission देते हैं। Web Service, Heterogeneous System के बीच Interoperability सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न Web-Based Standard, जैसे XML, SOAP, WSDL और REST का use करती हैं।

How to Work Web Service 

Web Service Client-Server Model पर काम करती हैं, जहाँ Client Server को एक Request भेजता है, और Server Requested Data के साथ Respond करता है, या एक Specific Action Perform करता है। Client और Server के बीच Communication मुख्य रूप से HTTP(S) Protocol के माध्यम से होता है, जो Data Exchange करने के लिए XML या JSON का Use करता है।

Types of Web Services

SOAP Web Service

SOAP-based Web Services, Security, ACID Transactions और Reliability के लिए Extensive Support के कारण Enterprise Environment में व्यापक रूप से use की जाती हैं। हालाँकि, ये अधिक Complex हो सकते हैं, और RESTful Service की तुलना में इनका Overhead अधिक हो सकता है।

RESTful Web Services

RESTful Services Lightweight होती हैं, Implement करने में आसान होती हैं| और अक्सर Communication के लिए Existing HTTP Method पर निर्भर होती हैं। इन्हें Public API और Web Application के लिए प्राथमिकता दी जाती है, जहां Simplicity और Scalability आवश्यक है।

Features of Web Services
  • Web Services को Application से Interaction के लिए Design किया गया है।
  • यह Interoperable होना चाहिए।
  • इसे Network पर Communication की Permission देनी चाहिए।
  • Web Service, Internet पर Accessible होनी चाहिए।
  • यह किसी भी Programming Language या Operating System पर Interoperable होना चाहिए।
Uses of Web Services
  • Web Service का use Code को Reuse करने और existing program को Connected करने के लिए किया जाता है।
  • Web Service का use दो अलग-अलग Platform के बीच Data को Link करने के लिए किया जा सकता है।
web

What is URL and Domain

What is URL

URL का पूरा नाम Uniform Resources Locator है। URL को सन् 1994 में Tim Berness-Lee ने Define किया था |URL Case-Sensitive होते हैं, अथार्त इसमें हमें Lower Case तथा Upper Case का ध्यान रखना पड़ता है। यह Internet पर किसी भी Resource का Address Search करने का Standards Method है।

Internet में किसी Website या Web Page को Access करने के लिए URL का use Web Browser के द्वारा किया जाता है। URL तीन चीजों से मिलकर बना होता है – Protocol, Domain Name और Domain Code। यह Internet पर Available Information का Address बताता है, और उस Information के Protocol एवं Domain Name को भी Show करता है।

Example – (http://www.thelearnify.in) में HTTP – Hyper Text Transfer Protocol है, जिसका use करके World Wide Web  पर (thelearnify) नामक Website पर जा सकते हैं। Domain Name एक Internet Protocol Resource को Internet के Medium से Represent करता है। इसमें (.in) Domain Code होता है।

WWW एक Server का नाम है। Website में जितने भी Page होते हैं, उनका एक Unique URL होता है। यदि हम अपनी Real Life में देखते हैं, तो किसी भी Letter को या किसी भी Courier को पहुचाने के लिए हमारे पास Address होता है|

Type of URL

  • HTTP and HTTPS URL: ये Web Page को Access करने के लिए use किए जाने वाले सबसे Common Type के URL हैं। “HTTP” (Hypertext Transfer Protocol) Standard Protocol है, जबकि “HTTPS” (Hypertext Transfer Protocol Secure) Encryption के माध्यम से Security की एक Layer जोड़ता है।
  • FTP URLs: File Transfer Protocol (FTP) URL का use Computer के बीच File को Access और Transfer करने के लिए किया जाता है। ये “ftp: //” Scheme का पालन करते हैं।
  • Mailto URLs: Mailto URLs  का use Hyperlinks बनाने के लिए किया जाता है, जिस पर Click करने पर, एक नई Message Window के साथ Default Email Client खुल जाता है। ये “mailto:” Scheme का पालन करते हैं।
  • Data URLs: Data URLs External Resource के विपरीत Data को सीधे Web Page में Embeded करने की अनुमति देते हैं। ये “data:” Scheme से शुरू करते हैं।

What is Domain

एक Domain अनिवार्य रूप से एक Unique, Alphanumeric Label है, जो एक Specific IP (Internet Protocol) Address को Assign किया गया है। यह Lavel User के लिए Internet पर Website के Address पता लगाने और उनको Access करने के लिए एक आसानी से यादगार तरीके के रूप में कार्य करता है। यह उन User-Friendly Name के बीच एक Bridge के रूप में कार्य करता है, जिनका use हम Website की पहचान करने के लिए करते हैं| और Numerical IP Address जो Computer एक दूसरे के साथ Communicate करने के लिए use करते हैं।

Structure of a Domain

  • Subdomain: यह Main Domain का एक Optional Prefix है, जो किसी Website के Specific Section या Subdivision को दर्शाता है। Example के लिए, “blog.example.com” में “blog” एक Subdomain है।
  • Main Domain: यह किसी Website या Resource का Primary Identifier है। “blog.example.com” में “example” Main Domain है।
  • Top-Level Domain (TLD): यह Domain Hierarchy में Highest Level है, और अक्सर Generic या Country-Specific होता है। Example में .com, .org, .net (Generic TLD) और .uk, .de, .jp (Country Code TLD) शामिल हैं।

Type of Domain

TLD – Top-Level Domains

Top Level Domains (TLD) को Internet Domain Extension के नाम से भी जाना जाता है| ये Domain का वो Part है, जहाँ Domain Name End होता है| यह Dot के बाद का Part होता है| इसे सबसे पहले Develop किया गया था| इस Domain की Help से आप अपने Website को आसानी से Rank कर सकते हैं| ये बहुत ही ज्यादा SEO Friendly है| और इसे Google Search Engine भी ज्यादा Importance देता है|

Example – TLD Extension के Domains जिसे कोई भी Purchase कर सकता है|

  • .com (commercial)
  • .org (organization)
  • .net (network)
  • gov (government)
  • .edu (education)
  • .name (name)
  • .biz (business)
  • .info (information)

GTLD – Generic Top-Level Domains

  • आमतौर पर Generic Purpose के लिए use किया जाता है।
  • Example में .com, .org, .net Include होते हैं।

CCTLD – Country Code Top-Level Domains

  • अलग-अलग Countries या Territories के लिए Specific होते हैं।
  • Example में .us, .uk, .de Include होते हैं।

Subdomains

  • किसी Domain के भीतर Subdivisions बनाने के लिए use किया जाता है।
  • Example में blog.example.com, shop.example.com Include होते हैं।

SLD – Second-Level Domains

  • Domain का वह Part जो Direct TLD के Left ओर होते है।
  • “example.com” में “example” SLD है।

STLD – Sponsored Top-Level Domains

  • Specific Communities या Industries के लिए Reserved होते है।
  • Example में .edu, .gov, .museum Include होते हैं।

Importance of a URL design

URL केवल ASCII Character Set का use करके Internet पर भेजे जा सकते हैं। क्योंकि URL में  Non-ASCII Character होते हैं, URL को एक Valid ASCII Format में परिवर्तित किया जाना चाहिए। URL Encoding Unsafe ASCII Character को “%” से बदल देता है, जिसके बाद दो Hexadecimal Digit होते हैं। URL में रिक्त Space नहीं हो सकते हैं।

When should be used a redirect

  • Duplicate Content

यह Page पर एक से अधिक बार दिखाई देती है। Google पर कई Page हैं, जिनमें Duplicate Content है। ऐसे में Google के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है, कि कौन सा Page सही है। आप Original Page पर Redirect करने के लिए Content के Duplicate Piece पर 301 Redirect का use कर सकते हैं। यह आपके Users के लिए एक बेहतर Experience बनाएगा और आपकी Search Engine Ranking को बेहतर बनाने में मदद करेगा।

  • Changed your Domain

Redirect का use तब होता है, जब आप अपना Domain Name बदल रहे होते हैं| और संभवत: किसी Built-In link को खोना नहीं चाहते हैं।

  • Multiple Domains

Online Brand की Protection के लिए कुछ लोग एक से अधिक Domain Name खरीदते हैं। इसलिए उन्हें किसी भी पुराने Domain को नए Domain पर Redirect करने की आवश्यकता होगी। कई कंपनियाँ Common Misspelling से Additional Traffic प्राप्त करने के लिए ऐसा करती हैं। साथ ही वे Competitors को समान Domain खरीदने से रोक सकते हैं, और उन्हें अपनी Site पर Redirect कर सकते हैं।

web

Search Engine and Client Server Model

Search engine

Search Engine एक Software Program या Tool है, जो User को World Wide Web (WWW) से Information Search और Retrieve करने की Permission देता है। यह Web Page और अन्य Online Content जैसे Image, Video और Document को Indexing करके काम करता है, और फिर User को उनकी Search Query के Base पर Relevant Result Provide करता है।

Search Engine Web पर नए Page Search करने और उन्हें अपने Database में Index करने के लिए Web Crawler या Spider का use करते हैं। Indexing की Process में Text, Link और Metadata सहित Web Page के Content का Analyze करना और फिर उस Information को Search योग्य Index में Store करना Include है। जब कोई User Search Query करता है, तो Search Engine सबसे Relevant Result को Retrieve करने और Rank करने के लिए अपनी Indexing का use करता है।

आज Web पर कुछ सबसे लोकप्रिय Search Engine में Google, Bing, Yahoo और DuckDuckGo शामिल हैं। ये Search Engine Keyword Density, Page Quality, और Website के Authority जैसे Different Factors को ध्यान में रखते हुए User की Search Engine के लिए Web Page और अन्य Online Content की Relevant Define करने के लिए Complex Algorithm का use करते हैं।

Client Sever Model

Client-Server Model एक Architecture Pattern है, जो Internet पर Data को Serve और Retrieve के लिए Web Technology में Use किया जाता है। इस Model में, Client (Web Browser), Server (Web Server) को एक Request Send करता है, और Server Request Prcoess  एक Response Return देता है। Client-Server Model, Client और Server के बीच Communication Interface की तरह Work करता है।

Client और Server एक Standardized Communication Protocol, जैसे HTTP या HTTPS के माध्यम से Communication करते हैं। Client-Side Component, User Interface है, जिसके माध्यम से User अपनी Search Query Enter करते हैं। यह Component, Server-Side Component को Query Send करता है| जो Query को Processing करने, उसके Index से Relevant Data को Retrieve करने और Client को Result, Return करने के लिए Responsible होता है।

Server Component में Multiple Layer होती हैं, जिसमें Front-End layer Include होती है| जो आने वाले Request को Receive करती है, और Parses करती है| तथा एक Back-end layer होती है, जो Request को Process करती है| और Relevant Data को Retrive करती है| तथा इसमें एक Database Layer होती है, जो Indexed Data को Store करती है| Front-End Layer, Back-End Layer से Received Data को HTTP Response में Convert करता है, और Client को Output के रूप में Send करता है।

Type of Client Server Services

Server Computer, Multiple Service, Provide करते है| Service के आधार पर Server Computer को Service के नाम से जाना जाता है| Example -Email Server, Database Server, Web Sever इत्यादि|

Email Server

Email Server, Email से Related Service Available, Provide करती हैं| Email Server द्वारा Client Computer एक दूसरे को Message व Mail Send कर सकते हैं| Email Server, Client Computer के सभी Mail व Message को Save रखता है| अगर Client Email को Read करने के लिए Server उस Client से Related सभी Email उस Network से Send कर सकते है|

Database Server

इस तरह के Server Computer बहुत बड़ी मात्रा में Client Computer की Information व Data अपने पास Store रखती है| Client Machine Database Server से Contact Stablish करके Information व Data को Server Computer में Save कर सकते हैं| तथा अपनी Need के अनुसार Stored Data को Retrieve भी कर सकते हैं|

Web Sever

यह Server Website से Related File को पास Store करते हैं| तथा जब भी Client Computer द्वारा Web Page को Access के लिए Request किया जाता है, तो Web Server, Requested, Web Page को Client को Send कर देते हैं| Example- Web Browser

Web Browser, Client Software होता है| इस Software में user Web Page से Related URL को Type करता है| Web Browser Type किये हुए URL के जरिये Web Server से Connection Stablish करता है, जिसके पास Requested Web Page Store होता है| Client की Request आने के बाद Web Server, Browser को Web Page, Send कर देता है| जिसके बाद Browser इस Web Page को Process कर user को Web Page में Availble, Current Component, User को Deliver करता है|

Advantages of the Client-Server Model

  • Scalability: Clients को Affect किए बिना Server को आसानी से Upgrade अथवा Change किया जा सकता है|
  • Reliability: High Availability, Provide करने और Downtime को कम करने के लिए Server को Redundant Component और Bakcup System के साथ Design किया जा सकता है।
  • Security: Sensitive Data को Protect करने मदद करते हुए Server Security policies को Apply करता है, और Access Control Provide करता है।
  • Centralized Processing: Server, Complex Processing और Data Storage कर सकता है, जिससे Client को Same Processing Power के बिना उन Resoures तक Access की Permission मिलती है, जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है।
  • Flexibility: Client-Server Architecture, Simple File Sharing से Complex Enterprise System तक Application और Service की एक Wide Range को Support करता है।

Disadvantages of the Client-Server Model

  • Single point of failure: Server, Client-server model में Failure के Single Point के रूप में कार्य करता है। यदि Server Fail हो जाता है, तो सभी Connected Client उन Resource को Access करने में Unable होंगे| जिनकी उन्हें Requirement है।
  • Maintenance and Upgrades: Server का Upgrade या Maintainance एक Complex और Time लेने वाली Process हो सकती है, जिसके लिए सभी Connected Client को temporarily रूप से disconnected करने की आवश्यकता होती है।
  • Latency: Client-Server Model, Latency से Suffer कर सकता है| क्योंकि Client से Server की Request Network पर Travel करती है, जिससे कभी-कभी Delay हो सकता है।
  • Security: Server पर Resource का Centralization इसे Malicious Attacks के लिए एक Main Target बना सकता है, जिससे Server और इसके Resource को Secure करना महत्वपूर्ण हो जाता है।
web

Defintion of Internet, WWW, and Browser

Internet

Internet, Computer और अन्य Device का एक Global Network है| जो एक दूसरे के साथ Communicate करने के लिए Standardized Internet Protocol Suite (TCP/IP) का Use करते हैं। यह Connected Device के बीच Data, जैसे Text, Image और Video को Exchange करने की Permission देता है। Intenet को Basic रूप से 1960 के दशक के अंत में U.S. Department के लिए Develop किया गया था|

और तब से यह Interconnected Network के एक Large Network के रूप में Develop हो गया है| जो दुनिया भर में अरबों User को Service देता है। यह Communication और Information को उस Parameter पर Share करने में Capable बनाता है, जो पहले कभी Possible नहीं था| और Internet, Commerce, Education और Entertainment सहित Society के कई Aspect को बहुत Affect करता है।

Advantages of the Internet:

  • Instant Messaging:  Internet का use करके किसी को Message Send कर सकते हैं, या Communication कर सकते हैं| Ex- Email, Voice Chat, Video Conferencing आदि।
  • Online Shopping: यह आपको Online Shopping करने की Permission देता है| जैसे कि आप Clothes, Shoes, Book, Movie Tickets, Railway Tickets, Flight Tickets और बहुत कुछ Online Buy कर सकते हैं।
  • Pay Bills: आप अपने Bills को Online Pay कर सकते हैं, जैसे Electricity bills, Gas bills,College fees आदि।
  • Online Banking: यह आपको Internet Banking का use करने की Permission देता है, जिसमे आप Balance को Check, Receive या Transfer कर सकते हैं| अथवा Statement Receive, Cheque-book का Request कर सकते हैं|
  • Online Selling: आप अपने Product या Service को Online Sell कर सकते हैं। यह आपको अधिक Customer तक पहुँचने में Help करता है |
  • Entertainment
  • Cloud computing
  • Online Learning

Disadvantages of the Internet

  • Time wastage
  • Bad impacts on Health
  • Cyber Crimes
  • Bad Effects on Children

World Wide Web

World Wide Web, जिसे Web के रूप में भी जाना जाता है| जोकि Web Server में Store, Website या Web Page का एक Collection है| और Inernet के माध्यम से Local Computer से Connected रहता है| इन Website में Text Page , Digital Image, Audio, Video आदि होते हैं। user इन Site के Content को World के किसी भी हिस्से से Internet पर अपने Device जैसे Computer, Laptop, Cell Phone आदि का use करके Access कर सकते हैं।

Browser

Browser एक Software Program है| जिसका use World Wide Web पर Available Information को Explore, Retrieve और Display करने के लिए किया जाता है। यह Information, Pictures, Webpages, Video और अन्य File के Format में हो सकती है| जो सभी Hyperlink के माध्यम से जुड़े हुए हैं, और URL (Uniform Resource Identifier) की मदद से Categorize हैं।

Browser एक Client Program है, क्योंकि यह User के Computer या Mobile Device पर Run होता है| और User द्वारा Requested Information के लिए Webserver से Contact करता है। Web Server, Data को उस Browser को Return Send करता  है, जो Internet Supported Device पर Result Display करता है। User, Browser, HTTP (Hypertext Transfer Protocol) का use करके Internet पर Web Server को Request Send करता है। Browser को Run करने के लिए Smartphone, Computer या Tablet और Internet की आवश्यकता होती है।

Examples- Google Chrome, Microsoft Edge, and Mozilla Firefox.