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Storage Devices, Floppy Disk, CD, DVD, Pendrive

Storage Device

Storage Device एक प्रकार का Hardware होता है, जिसे Storage Device, Storage Medium, Digital Storage या Storage Media के रूप में भी जाना जाता है| जिसमें Information को Temporarily या Permanently रूप से Store करने की क्षमता होती है| इसका Use Data Files को रखने, Port करने और Exaract करने के लिए किया जाता है| इसका Use या तो Internally या Externally रूप से Computer System, Server या किसी Computer Device में Information Store के लिए किया जा सकता है।

Types of Storage Device

Primary Storage Device

इस प्रकार की Memory में बहुत अधिक मात्रा में Data store नहीं किया जा सकता है| इसलिए इसका Use Temporary Data को Store करने के लिए किया जाता है| Power Off होने के बाद यह Erase हो जाता है। इसलिए इसे Temporary Memory या Main Memory भी कहते हैं।

Random Access Memory (RAM) Primary Memory का एक Example है। यह Memory सीधे CPU द्वारा Access की जाती है। इसका Use Data को Read & Write करने के लिए किया जाता है| Data को Process करने के लिए Data को पहले RAM और फिर CPU में Transfer किया जाता है।

Secondary Storage Device

Primary Memory, Temporary Data को Store करती है| इस प्रकार इसे Future में Access नहीं किया जा सकता है| Permanent Storage Purpose के लिए Secondary Memory का use किया जाता है| इसे Permanent Memory या Auxiliary Memory भी कहा जाता है। Power Off हो जाने पर भी इसमें Store Data Erase नहीं होता है|

Examples – Hard Disk Device, Tape Disk Drive, Optical Storage Driver ( CD-ROM and DVD ), and Floppy Disk Drive.

Hard Disk

Hard Disk को Hard Drive या Fixed Disk के रूप में भी जाना जाता है| इसे Rigid Magnetic Disk भी कहा जाता है, जो Data Store करता है|Hard Disk एक Non-Volatile Storage Device है, जिसमें Platter और High speed पर घूमने वाली Magnetic Disk होती है| Non-volatile होने के कारण Power Off होने के बाद भी इसमें Store Data Erase नहीं होता है|

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Hard Disk, Computer के Motherboard पर एक Drive Unit में Located होती है, और इसमें एक या एक से अधिक Platter होते हैं| जो Air-Sealed Case में Pack होते हैं। इसमें Read/Write Actuator Arm, Head Actuator, Read/Write Head, Spindle, and Platter आदि Main Component होते हैं। Hard Drive के पीछे एक Circuit Board (जिसे Interface Board और Disk Controller भी कहा जाता है) लगा होता है, जो Hard Drive और Computer के बीच Communication Channel की तरह काम करता है|

Type of Hard Disk

  1. PATA (Parallel Advance Technology Attachment) Hard Disk
  2. SATA (Serial Advance Technology Attachment) Hard Disk

Advantages of the Hard Disk

  • Hard Disk Drive का cost कम होती है।
  • Market में Easily Available है।
  • Hard Disk, Optical Disk से Fast होती है।
  • HDDs में Data store करने की Capacity ज्यादा होती है।

Disadvantages of the Hard Disk

  • HDD में Read/Write करने की Speed, RAM के Respect में Slow होती है।
  • HDD Energy Inefficienct होती है।
  • HDD अधिक Power की खपत करते हैं।
  • HDDs का Form Factor SSDs से ज्यादा होता है।

Floppy Disk

Floppy Disk एक Storage Device है| इसे पहली बार 1969 में Create किया गया था| यह Secondary या External Memory का Part है| यह Disk Magnetic Material से बनी होती है| तथा अन्य Disk के मुकाबले Floppy Disk Portable होती है| इन्हें Computer से आसानी से Remove किया जा सकता है|

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Floppy Disk Access करने में समय ज्यादा लगता है, और इसकी Capacity कम होती है| Computer के आविष्कार के शुरुआती दिनों में इसका Use Main Storage Device के रूप में किया जाता था, बाद में इसका Use एक Computer से दूसरे Computer में Data ले जाने के लिए किया जाता था| Floppy Disk तीन अलग-अलग Size (8 inch, 5.5 inch and 3.5 inch) में Market में Availble है|

Advantages of Floppy Disks

Portability

Floppy Disk Size में Small और Portable होते हैं। Floppy disk को एक Plastic Cover के साथ Design किया गया है, जो इसे मजबूत बनाता है| और Disk को अंदर से Secure रखता है| CD और DVD की तुलना में, Disk में Scratch की संभावना कम होती है| क्योंकि यह हमेशा Case या Plastic Cover से Enclose रहता है। Floppy Disk Data को Delete या गलती से Overwritten होने से भी Control या Prevent करता है| Portability user को छोटे Size के Files को एक Device से दूसरे Device में Transfer करने में Benefit Provide करती है।

Compatibility

Old Computers में Floppy Disk को Data Storage Device के रूप में Use किया जाता था| तथा इसे New Generation Computer के साथ भी Use किया जाता है| इसलिए Floppy Disk सभी Computer के साथ Compatible है|

Boot Disks 

Boot Order Sequence में Floppy Disk Drive, Main Hard Drive के ऊपर Set होते हैं। क्योंकि Floppy Disk Drive को Boot Disk की तरह भी Use किया जाता है| इसलिए इनकी Priority High होती है|

Disadvantages of Floppy Disks

Speed

Floppy disk में Data transfer की speed बहुत Slow होती है। जब Data, Computer से Floppy Disk या Floppy disk से Computer में Transfer हो रहा होता है| तो Data को Transfer करने में काफी समय लग सकता है।

Storage Space

Floppy Disk Drive में Information रखने के लिए Limite Space होता है। यह Modern Storage Devices की तुलना में बहुत Low Storage Capacity Provide करता है।

File Corruption

File Corruption, Floppy Disk के Main Disadvantage में से एक है। Floppy Disk, Heat और Magnetic Field जैसे बाहरी Factors से Affected होती हैं। जिसके कारण Floppy Disk में Store Files कभी-कभी Corrupt हो जाती है। इसके अलावा किसी भी अन्य Storage Medium की तुलना में Floppy disk अधिक Serurity Provide नहीं करती है, क्योंकि Floppy disk Virus Sensitive नहीं होती है| जो की File Damage या File Corruption का कारण हो सकते हैं|

Compact Disk (CD)

Compact Disk एक Optical Storage device है| जिसमे Data को Read व Write किया जा सकता है| CD Portable Storage Device है| एक Standard Compact Disk (CD) 650 MB की होती है| इसमें 72 Minuate का Song Store हो सकता है| Data को Read करने के लिए Laser Light Technique का Use किया जाता है| CD का Use करने के लिए CD Drive की Requirement होती है|

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Type of Compact Disk (CD)

CD को Main तीन Part में divide किया गया है |

  1. CD-R (Compact Disk – Read )
  2. CD-WORM (Compact Disk – Write Once, Read Many )
  3. CD-RW (Compact Disk – Read/Write )

Advantages of Compact Disk

  • Cost-Effective
  • Storage Unit, Floppy Disk की तुलना में Fast होता है ।
  • Users अपनी Need के According Data को Read/Write कर सकता है।
  • किसी भी प्रकार की File को Store किया जा सकता है।

Disadvantages of Compact Disk

  • Low Storage Capacity
  • Damage OR Scratches

DVD

Digital Versatile Disk एक Read-only Storage Device है| जिसका Use Large Scale Software Applications को Store करने के लिए किया जाता है। यह Compact Disk Read-Only Memory (CD-ROM) के समान है| लेकिन इसकी Storage Capacity CDROM से अधिक है। एक DVD-ROM में लगभग 4.38GB Data Store होता है। जबकि एक CD-ROM आमतौर पर 650 MB Data Store करता है।

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DVD-ROM स्थायी रूप से उन Data Files को Store करता है, जिन्हें Change या Delete नहीं किया जा सकता। आमतौर पर एक DVD-ROM Disk को Home Theater System अथवा Television से Connected DVD Drive के साथ Use करने के लिए Design किया जाता है।

Advantages of DVD

  • Very Large Storage Capacity।
  • Increasing Availability।
  • यह Portable है।
  • High Data Stability।
  • Low in Cost

Disadvantages of DVD

  • DVD में CD ROM Drive को Connect नहीं किया जा सकता हैं।
  • Data को Change करना Possible नहीं है|
  • Information Store करने के लिए Burning Software की Requirement होती है।

Pen-Drive

Pen Drive या USB Flash Drive, एक Portable Data Storage Device है| Pen Drive, Floppy Disk Drive का Replacement है| तथा यह Users के द्वारा सर्वाधिक Use किया जाने वाला Portable Data Storage Device है| Micro Size, और Lightweight होने के कारण Pen Drive को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। वर्तमान में 8GB और 32GB की Storage Capacity वाले Pen Drive का उपयोग Graphics Heavy Documents, Photos, Music file और Video clips को Store करने के लिए किया जाता है।

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Characteristics of Pen Drive 

  1. इसकी Width 1cm से 3cm तक होती है |
  2. इसकी Storage Capacity 512 MB से 128 GB तक होती है |
  3. Pen Drive को Power, Computer के USB Port से मिलता है |

Advantage of Pen Drive

  • Pen Drive size में बहुत छोटे होते हैं।
  • Pen Drive बहुत Light Weighted होती है।
  • Pen Drive बहुत तेजी से Data transfer करती है।
  • Pen Drive एक Portable Storage device है।
  • Pen Drive का use Computer को Boot करने के लिए भी किया जाता है।
  • Pen drive में किसी भी Type का Data Permanently, Store कर सकते हैं।

Disadvantages of Pen Drive

  • Pen Drive बहुत बड़े Data को Store करने में सक्षम नहीं होते हैं।
  • Virus के कारण Pen drive  में Data Crupt होने की आशंका है।
  • Pen Drive size में काफी छोटे होते हैं, जिससे Pen Drive गुम (Lost) होने का डर रहता है।
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Memory and Its type

What is Memory

Computer Memory Human Brain की तरह ही है। इसका Use Data, Information और Instruciton को Store करने के लिए किया जाता है| यह एक Data Storage Unit या Data Storage Device है| जहां Data को Process किया जाता है| और Processing के लिए जरूरी Instruciton Store किए जाते हैं। इसमें Input और Output दोनों को Store किया जा सकता है|

Type of Memory

Memory दो type की होती है-

  1. Primary Memory
  2. Secondary Memory

Primary Memory

इस प्रकार की Memory में बहुत अधिक मात्रा में Data store नहीं किया जा सकता है। इसलिए, इसका Use केवल हाल के Data को Store करने के लिए किया जाता है। इसमें Store किया गया Data temporary होता है। Power Off होने के बाद Stored Data Erase हो जाता है। इसलिए इसे Temporary Memory या  Main Memory भी कहते हैं।

Random Access Memory (RAM)  यह Primary Memory का उदाहरण है। यह Memory सीधे CPU द्वारा Access की जाती है। इसका उपयोग Data को Read और Write करने के लिए किया जाता है। Data को Process करने के लिए, इसे पहले RAM और फिर CPU में Transfer करना पड़ता है।

Type of Primary Memory 

Primary Memory दो type की होती है |

  1. RAM (Randome Access Memory)
  2. ROM (Read Only Memory)

Random Access Memory (RAM)

RAM का पूरा नाम Random Access Memory है| यह एक Volatile Type की Memory है| जिसमें Power Off होने पर Memory में Store, Data का Loss हो जाता है। Processor इसमें Instruction/Data Read और Write करता है। Data और Instruction को External Hard Disk से RAM में Load किया जाता है, और Modify Data को Hard Disk में वापस Store किया जाता है।

RAM से Data सीधे Random Access Mode में Memory Address का use करके Read किया जाता है| भले ही इसकी Length 16/32/64 Bits हो। इसलिए Data को External Hard Disk की तुलना में Fast Speed से RAM से Access किया जा सकता है| और CPU को RAM से Data Read करने में सामान्य रूप से 10 Nano Second लगते हैं| यह Memory RAM की तुलना में महंगी होती है, और इसलिए अधिकांश Computer में इसका Size 1 GB तक सीमित है।

Types of RAM 

Random Access Memory (RAM) दो type की होती है |

  1. DRAM (Dynamic Random Access Memory)
  2. SRAM (Synchronous Dynamic Random Access Memory)
DRAM (Dynamic Random Access Memory)

DRAM का पूरा नाम Dynamic Random Access Memory है| जिसका Use RAM में Data को Dynamicly store के लिए किया जाता है। DRAM में, प्रत्येक Cell में 1-Bit Information Store होती है। यह Cell दो Parts से बना है – एक Capacitor और एक Transistor| Transistor और Capacitor का Size इतना छोटा होता है, कि उनमें से लाखों को एक ही Chip पर Store करने की आवश्यकता होती है। इसलिए एक DRAM Chip सामान्य Size की SRAM Chip की तुलना में अधिक Data Store कर सकती है। इसमें Power Off हो जाने के बाद Data Erase हो जाता है |

Characteristics of DRAM

  • Data को बनाए रखने के लिए इसे लगातार Refresh करने की आवश्यकता होती है।
  • यह SRAM से Slow होता |
  • यह बड़ी मात्रा में Data Store करके रखता है|
  • यह Transistor और Capacitor का Combination होता है|
  • यह SRAM की तुलना में कम खर्चीला है|
SRAM (Synchronous dynamic Random Access Memory )

इसे Synchronous Dynamic Random Access Memory कहा जाता है | जो Data Bits को अपनी Memory में तब तक बनाए रखती है, जब तक Power Supply ON रहती है। DRAM में Data को बनाए रखने के लिए लगातार Refresh करने की आवश्यकता होती है, जबकि SRAM में यह आवश्यकता नहीं होती है| जिसके परिणामस्वरूप बेहतर Performance और कम बिजली (Power) का Use होता है। हालाँकि SRAM, DRAM से अधिक महंगा भी है, और इसके लिए बहुत अधिक Space की आवश्यकता होती है।

Characteristics of SRAM

  • इसे Refresh करने की जरूरत नहीं है।
  • यह DRAM से Fast Work करता है।
  • यह Expensive होते है।
  • बिजली की खपत ज्यादा है।
  • इसका Use Cache Memory के रूप में किया जा सकता है।

Read Only Memory (ROM)

यह एक Non-volatile Type की Memory है| जो Power Off होने पर भी Data को बनाए रखती है। इन Memory Location से Data को केवल Read किया जा सकता है| और इसे Delete या फिर से Write नहीं किया जा सकता है। ROM के बजाय BIOS, Firmware को Store करने के लिए Flash Memory का use किया जाता है |

Types of ROM

Read Only Memory (RAM) Three type की होती है |

  1. PROM (Programmable Read Only Memory)
  2. EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)
  3. EEPROM (Electric Erasable Programmable Read Only Memory)

PROM (Programmable Read Only Memory)

  • इसे Programmable Read Only Memory कहते है |
  • यह एक प्रकार की Digital Read Only Memory है, जिसमें User केवल एक ही बार Data या Program लिख सकता है।
  • यह एक खाली PROM Chip को Refers करता है| जिस पर User केवल एक बार PROM Programmer या PROM Burner Device के साथ Content या Program लिख सकता है| उसके बाद Data या Instruction को Modify या Delete नहीं जा सकता है।|

EPROM (Erasable Programmable Read Only Memory)

  • इसका पूरा Erasable Programmable Read Only Memory है |
  • EPROM memory को कई बार Program किया जा सकता है |
  • EPROM Memory में पहले Stored Information को Change या Erase करने के लिए Ultraviolet Light का use किया जाता है |

EEPROM ( Electrical Erasable Programmable Read Only Memory)

  • इसका पूरा नाम Electrical Erasable Programmable Read Only Memory है |
  • यह एक Non-volatile Memory है| Power Off होने पर भी इसका Content Erase या Loss नहीं होता है |
  • EEPROM में Record किए गए Data को मिटाया जा सकता है, और 10,000 बार तक Reprogram किया जा सकता है|

Secondary Memory 

Primary Memory, Temporary Data को Store करती है। इस प्रकार इसे भविष्य में Access नहीं किया जा सकता है। जबकि Permanent Storage Purpose के लिए, Secondary Memory का use किया जाता है। इसे Permanent Memory या Auxiliary Memory भी कहा जाता है। Hard Disk, Secondary Memory का एक Example है। Secondary Memory में Stored Data Power Off के बाद भी Erase या Loss नहीं होता है| Example – Hard Disk Device, Tape Disk Drive, Optical Storage Driver (CD-ROM and DVD) and Floppy Disk Drive|

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Recognize the current family of CPU used in Computers

Central Processing Unit (CPU)

CPU को Processor, Central Processor या Microprocessor भी कहा जाता है। यह Computer के सभी Important Task को Complate करता है। यह Hardware और Active Software दोनों से Instruciton Receive करता है, और Output Generate करता है। यह Operating System और Applicaiton Software जैसे सभी महत्वपूर्ण Program को Store करता है। CPU Input और Output Device को एक दूसरे के साथ Communicate करने में भी मदद करता है। CPU की इन विशेषताओं के कारण इसे Computer का Brain भी कहा जाता है।

The Function of CPU in Four Steps

Fetch: प्रत्येक Instruction Memory में Store होता है, और प्रत्येक Instruction का अपना Address होता है। Processor इस Address को Program Counter से Fetch करता है, जो Tracking के लिए Resposible होता है| कि CPU को आगे कौन से Instruction Execute करने चाहिए।

Decode: Execute किए जाने वाले सभी Programs को Assembly Language में Translate किया जाता है। उसके बाद Assembly Code को Binary Instruction में Decode किया जाता है, जो की CPU के लिए समझ में आता है। इस Step को Decoding कहा जाता है।

Execute: Instruction को Execute करते समय, CPU तीन Operation Perform करता है-

1. ALU के साथ Calculations करना|

2. Data को एक Memory से दूसरे Memory Memory में Transfer करना|

3. Data को किसी Different Address पर Store करना|

Store: Instruction Execute करने के बाद CPU को Feedback Provide करता है, और Output Data, Memory मे Write किया जाता है।

Type of Central Processing Unit (CPU)

Central Processing Unit को Core और Threads की संख्या द्वारा Categorised किया गया है। ये दो चीजें बताती हैं, कि CPU कितना Powerful है। Core का काम Task को Complate करना है। ये Task Core पर निर्भर करते हैं|CPU के Multiple Core में Divide होने के कारण Computer एक साथ Multiple Process को Execute कर सकता है| इसलिए Computers का Fast Multi Processing होना Processor के Core पर Depend करता है|

Singal Core CPU

यह CPU का सबसे पुराना Model है। Singal Core CPU एक समय में केवल एक ही Command Execute कर सकता है| और यह Multi-tasking में Efficient नहीं है। यह दर्शाता है कि यदि एक से अधिक Applicaiton Execute किए जाते हैं तो Performance में गिरावट आती है। यदि एक Operation शुरू किया गया है, तो दूसरी Process को पहले Operation के Finish होने तक Wait करना चाहिए। लेकिन एक साथ Multiple Operations Perform करने Computer का Performance काफी Low हो जाता है।

Dual Core CPU

Dual-Core CPU दो Single Core CPU का एक Combination है| जहां इसमें 2 Core और 4 Threads होते हैं। यह पहला Multi-Core CPU है, जो Single Core CPU से Poweerful है। यह CPU Multi-tasking को आसानी से Handle कर सकता है| और यह Computer के use को Comfortable बनाने के साथ-साथ User Experience को Single Core से बेहतर बनाता है।

Quad Core CPU

Dual-Core CPU की तुलना में Quad-Core CPU में और सुधार हुआ हैं। इसमें 4 चार Core और 8 Threads होतें हैं। जो पिछले Dual-Core CPU से भी ज्यादा Powerful है| Quad Core CPU में यह सारे काम को CPU 4 Core के बीच Divide कर देता है। जो User Experience को आसान बनाता है, और सभी Execution को कम Time में पूरा करता है।

इस प्रकार के CPU Heavy Softwares Ex– Photo Editing(Photoshop, Illustrator), Video Editing (Premiere Pro), Games आदि का Use करना संभव बनाते हैं। First Quad-Core CPU (Athlon II X4) 2009 में AMD द्वारा Launch किया गया था।

Hexa Core CPU

यह एक और Multiple Core Processor है, जो 6 Core और 12 Threads से मिल कर बने होते है| और Quad-Core और Dual-Core Processor की तुलना में Fast से काम करते है। Personal Computer के user के लिए, Hexa Core के Processor Easy होते हैं| First  Hexa Core Processor (core i7) को 2010 में Intel के द्वारा Lanch किया गया था।

Octa-core CPU

Octa Core CPU में 8 Core और 16 Threads हैं। इसका Performance, Application और Software Workload, Clock speed, Rendering Time आदि बहुत Fast होती हैं। यह Hexa Core CPU से बेहतर है। First Octa-Core CPU (Intel Core i7-5960X) को 2014 में INTEL द्वारा Launch किया गया था|

Deca-Core CPU

Deca Core में 10 Independent Core और 20 Threads होते है| जो अब तक Develop किये गए अन्य Processor की तुलना में Fast Speed से Task को Complete करने और Manage करने के लिए जाने जाते हैं। यह दूसरे Processor के मुकाबले Fast और Multi tasking को Supportकरते है। अधिकांश Smartphone में अब Deca Core Processor का use किया जाता है|

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Function of CPU and Functional parts of CPU

The Function of CPU

Computer में CPU का Main Work user को Output Data Provide करने के लिए Input Data के साथ सभी Mathematical and Logical Calculation करके Store और Process करना है| CPU Computer को Guide करता है, कि किसी Problem को कैसे Solve करना है| इसीलिए इसे Processor भी कहते है|

The Function of CPU in Four Steps

Fetch: प्रत्येक Instruction Memory में Store होता है, और प्रत्येक Instruction का अपना Address होता है। Processor इस Address को Program Counter से Fetch करता है, जो Tracking के लिए Resposible होता है| कि CPU को आगे कौन से Instruction Execute करने चाहिए।

Decode: Execute किए जाने वाले सभी Programs को Assembly Language में translate किया जाता है। उसके बाद Assembly Code को Binary Instruction में Decode किया जाता है, जो की CPU के लिए समझ में आता है। इस Step को Decoding कहा जाता है।

Execute: Instruction को Execute करते समय, CPU तीन Operation Perform करता है-

1. ALU के साथ Calculations करना|

2. Data को एक Memory से दूसरे Memory Memory में Transfer करना|

3. Data को किसी Different Address पर Store करना|

Store: Instruction Execute करने के बाद CPU को Feedback Provide करता है, और Output Data, Memory मे Write किया जाता है।

Functional parts of the CPU

Control Unit

Control Unit (CU) CPU के अंदर Computer की सभी Activities और Operation को Control करने का काम करता है। Control Unit के पास Input/Output, Memory और अन्य Device को Control करने के लिए Responsible होता है| जो CPU से जुड़े होते हैं।

Control Unit, Instruction या Information के Set को प्राप्त करती है| फिर यह Instruciton Set को Control Signal में बदलने में मदद करती है| फिर इन Signal को Processing के लिए Central Processor में ले जाया जाता है। CU यह समझने में सक्षम है, कि किस प्रकार के Operation को कैसे Execute किया जाना है। Activities को प्राथमिकता (Priority) देने और शेड्यूल करने में Control Signal मदद करते है। यह Input और Output Unit के साथ-साथ Computer के अंदर सभी Processing में Coordinate करती है।

The Function of the Control Unit

  • यह Computer में सभी Internal Processing को Control करता है|
  • यह Input/Output को Control करता है|
  • यह Memory में Program को Read करता है| ALU और Memory में Processing करने के लिए Instruction देता है|
  • यह ALU को Inform करता है, की Data कहा Store है, क्या Operation Perform करना है, तथा Result को कहा Store करना है|

Arithmetic Logic Unit (ALU)

यह Unit, Mathematical तथा Logical Operation Perform करती है| Mathematical Operation में Addition(+), Subtraction(-), Multiplication(*) और Division(/) करती है| ALU में एक Electronic Circuit होता है, जो Mathematical Calculation करता है|

Logical Operation में ALU दो Number या Data को Compare करके Decision लेने का काम करता है| Compare का Result “Yes” या “No” में होता है| ALU, Control Unit के Control में work करता है| यह Memory से Data Receive करता है, उस पर Processing करता है| और Result Memory को Return कर देता है| ALU में अनेक Register और Accumulators होते है|

Memory Unit

सभी Data जिसे Process किया जाना है, या Process किया गया है| Memory Unit में Store किया जाता है| Memory Unit सभी Data के Hub के रूप में कार्य करती है। यह जब भी Requirement हो, Data को Computer के Required Part में Transmit करता है। Memory Unit, CPU के साथ Shrink होकर काम करती है। यह Data को Fast Access करने और Process करने में मदद करता है।

Types of Computer Memory

Primary Memory

इस प्रकार की Memory में बहुत अधिक मात्रा में Data Store नहीं किया जा सकता है| इसलिए, इसका Use केवल हाल के (Current Active) Data को Store करने के लिए किया जाता है। इसमें Store किया गया Data Temporary होता है। जो की Power Off होने के बाद यह Erase हो जाता है। इसलिए इसे Temporary Memory या Main Memory भी कहते हैं।

Random Access Memory (RAM), Primary Memory का Example है। यह Memory सीधे CPU द्वारा Access की जाती है। इसका उपयोग Read और Write के लिए किया जाता है। Data को Process करने के Data को पहले RAM और फिर CPU में Transfer करना पड़ता है।

Secondary Memory

Primary Memory, Temporary Data को Store करती है| इस प्रकार इसे Future में Access नहीं किया जा सकता है। Permanent Storage के लिए Secondary Memory का Use किया जाता है| इसे Permanent Memory या Auxiliary Memory भी कहा जाता है। Hard Disk, Secondary Memory का एक Example है| इस प्रकार के Memory से Power Off होने पर भी Data Erase नहीं होता है|

World length of CPU

एक समय में Computer द्वारा Parallel Process किये जाने वाले Number of Bits को  Word Length कहते है| 8-bit, 32-bit, और 64-bit सभी Processor की Word length को Refer करते है| यह System की RAM से Transfers, Bit और Pointer की Width होती है| Long word length का Computer अधिक Powerful होता है| Maximum Word Length वाले Computers की Processing Speed Fast होती है| इसलिए जिस Computer की Word Length जितनी ज्यादा होती है, वह Computer उतना ही अच्छा माना जाता है|

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Input and Output Devices

Input Devices

Input Device की Help से User द्वारा Computer में  Data, Information तथा Instruction, Input किये जाते है| ये Device Human Language में दिये गये Data और Instruction को Computer के समझने योग्य बनाते है| ये Word, Number और अन्य Symbol को Computer की Language 0 एवं 1 Binary-bit में Convert करते है|

Type of Input Devices

Keyboard

यह सर्वाधिक use होने वाला एवं Important Input Device है | यह एक Typewriter का Modify रूप है| इसमें Key की संख्या Typewriter से अधिक होती है| General Keyboard में Key की संख्या 101 से 108 तक होती है| Keyboard पर सभी Characters, Number तथा अन्य Symbol होते है, जिनके द्वारा Data Input किया जाता है| Keyboard एक Cable से System Unit से जुड़ा रहता है| वर्तमान में Wireless Keyboards का प्रयोग भी अत्यधिक मात्रा में किया जाता है|

Types of Keys

  • Numeric Keys: इसका Use Numeric Data Enter करने या Cursor को Transfer करने के लिए किया जाता है। इसमें 17 Key का एक Set होता है।
  • Typing Keys: Letter Keys (A-Z) और Number Keys (0-9) इन Keys में से हैं।
  • Control Keys: ये Key Pointer और Screen को Control करती हैं। इस पर Four Directional Arrow Keys होती है ।Home, End, Insert, Alternate(Alt), Delete, Control(Ctrl), और Escape(Esc) आदि सभी Control keys हैं।
  • Special Keys: Enter, Shift, Caps Lock, Num Lock, Tab, और Print Screen आदि, Keyboard पर Special Function Keys में से हैं।
  • Function Keys: Keyboard की सबसे Upper Row पर F1 से F12 तक की 12 Key होती है ।

Mouse

Mouse में तीन Button होते है| Mouse के Button को Finger से Click किया जाता है| सबसे Common Pointing Device Mouse है| Click करने और खींचने के दौरान Mouse का use Screen पर Move करने के लिए किया जाता है। यदि आप Mouse को छोड़ देते हैं, तो Cursor रुक जाएगा। Mouse Movment करने के लिए आप पर निर्भर करता है।

Mouse का use इस प्रकार करते है |

  • Single Click : Left button के एक Click से Screen पर Object को Select करने के लिए किये जाते है |
  • Double Click : Left Button से लगातार दो बार Click करने से Object Open हो जाता है |
  • Right Click : Right Button को एक बार click करने Content Menu Open होता है, जिसमे कई Option होते है |

Joystick

Joystick भी Mouse की भांति Computer Screeen पर Cursor को Control करता है| Joystick में एक Stick लगी होती है, जिसे हाथ में पकड़कर Cursor को Control किया जाता है| Joystick को Control करने के लिए इसमें कुछ Button भी लगे होते हैं, जिन्हें Trigger कहते हैं| Joystick का use Cmputer पर Game खेलने के लिए किया जाता है|

Light Pen

Light Pen एक प्रकार का Pointing Device है, जो Pen की तरह दिखता है| इसका Use Menu item को Select करने या Monitor Screen पर Image बनाने के लिए किया जा सकता है।

Optical Character Reader ( OCR)

OCR (Optical Character Recognition) Physical Document को Digital Image के अंदर Printed या Hand written Text को अलग करने के लिए use की जाने वाली Technology है| OCR की Basic Process में Document के Text  को Check करना और Characters को Code में Translate करता है| जिसका use Data Processing के लिए किया जा सकता है। OCR को कभी-कभी Text Recognition भी कहा जाता है।

OCR System, Hardware और Software के Combination से बने होते हैं| जिनका उपयोग Physical Document को Machine-Readable Text में बदलने के लिए किया जाता है।

Output Device

Output Device, Row Data के Processing के Result को Display करता है| जो Computer में एक Input Device के माध्यम से Enter किया जाता है। ऐसे कई Output Device हैं, जो Text, Image, Hard Copy और Audio या Video जैसे विभिन्न type से Output Display करते हैं।

Computer से Receive Result दो type के होते है |

  • Soft Copy – यदि Result को Screen पर देखा जाये तो Soft Copy कहलाती है |
  • Hard Copy – जब Receive Result को Printer या Paper पर Print किया जाता है, तो Hard Copy कहलाती है |

Monitor

Monitor एक Electronic Output Device है, जिसे Video Display Terminal (VDT) या Video Display Unit (VDU) के रूप में भी जाना जाता है| इसका Use Computer के Video Card के माध्यम से Connected Computer द्वारा Generate Image, Text, Video और Graphics Information को Display करने के लिए किया जाता है| यह एक TV की तरह होती है| लेकिन इसका Resolution TV की तुलना में High होता है। पहला Computer Monitor, 1 मार्च 1973 को Lanch किया गया था| जो Xerox Alto Computer System का हिस्सा था|

Types of Monitor

Cathode Ray Tube Monitor (CRT)

CRT का पूरा नाम Cathode Ray Tube है| यह एक Display Screen है, जो Videos का Singal के रूप में Image Create करती है। यह एक प्रकार की Vacuum tube होती है, जो Electron Gun के माध्यम से Electron Beam द्वारा Phosphorescent Surface पर प्रहार करने पर Image को Display करती है।

Cathod Ray Tube का अविष्कार 1897 में Ferdinand Braun द्वारा किया गया था| जिसका नाम “Braun’s Tube”, रखा गया| यह पहली CRT थी| जिसमे Code-Cathode Diode का use किया गया था| जिसमे Phosphorous की Coating की हुई Screen लगी थी |

Flat Panel Display Monitor (FPD)

Flat-Panel Devices ऐसे Device होते हैं, जिनमें Cathode Ray Tube (CRT) की तुलना में कम Volume, Weight और Electricity की खपत होती है| Flat-Panel Display के फायदों के कारण CRT का Use कम हुआ। चूंकि Flat-Panel Devices weight में हल्के होते हैं, इसलिए उन्हें दीवारों पर लटकाया जा सकता है| और Watch के रूप में हमारी कलाई पर पहना जा सकता है। Flat-Panel Display users को Data, Graphics, Text और Image को देखने की अनुमति देता है।

Advantages of Flat Panel Devices

  • LCD एक Flat Panel Device है, जो High quality वाली Digital Image बनाते हैं।
  • Flat Panel Monitor stylish होते हैं, और इनका Design काफी जगह बचाने वाला होता है।
  • Flat Panel Device अपनी Full Color Display Capability का use करते हैं।

Printer

Printer एक Hardware Output Device है, जिसका Use किसी Document की Hard Copy Print करने के लिए किया जाता है। एक Document किसी भी प्रकार का हो सकता है| जैसे Text, File, Image या दोनों का Combination। यह Document को Print करने के लिए Computer या अन्य Device पर user द्वारा Input Command को Accept करता है।

Types of Printer

Impact Printers

इस प्रकार के Printer में एक छोटा Hummer या Print head Ink के Ribbon पर Strike करता है| Ribbon के नीचे वह Paper रखा जाता है, जिस पर Document को Print करना है|

Types of Impact Printer

Dot Matrix Printer (DMP)

Dot Matrix Printer को एक Pin Printer के रूप में भी जाना जाता है, जिसे 1957 में IBM द्वारा जारी किया गया था। 1970 में Centronics ने पहला Dot-matrix Impact Printer बनाया था। यह Print Heads का use करके एक Ink Ribbon पर Impact करता है, जो Image और Text को बनाने के लिए हजारों छोटे-छोटे Dot Points को Print करता है| Laser और Inkjet Printer की तुलना में इसका कम use होता है, क्योंकि इसकी Printing की Speed Slow होती है, और Low Quality वाली Image Print होती हैं।

Daisy Wheel Printer

यह 1969 में David S. Lee द्वारा Develop एक Impact Printer था| इस प्रकार के Printer में एक Metal या Plastic की Disk होती है, जो Letters, Numbers, एवं Special Characters को Store करती है, जिन्हें Printer Head का Use करके Print किया जा सकता है।

Chain Printer

इस Printer में Metal से बने Speed से घुमने वाली एक Chain होती है| जिसे Print Chain कहते है| Chain में Character होते है | Chain के हर Link में Character के Fonts होते है| इसके Print करने की Speed 300 से 3000 Line/Per Minuate है |

Non-Impact Printer

Non Impact Printer में Print Head और Paper के मध्य Contact नहीं रहता है| इसलिए इन्हे Contactless Printer भी कहते है| ये Printer Contact को Avoid के लिए इसमें Advance Technology (Ink spray, Laser) का use किया जाता है|

Types of Non-Impact Printer

Inkjet Printer

एक Inkjet Printer अपेक्षाकृत कम मात्रा में High quality वाले Document Print करता है| यह Cartridge से Ink की सूक्ष्म बूंदों को सीधे Page पर छिड़क (Spray) कर Print करता है| Cartridge पूरे कागज पर आगे और पीछे चलता है| यह Document का एक समय में एक-एक करके Row को Print करता है| Inkjet Printer की Speed Normaly 1 से 20 Page/Per Minuate तक होती है| इस प्रकार के Printer में Print की Quality जितनी बेहतर होगी, Printing Speed उतनी ही Slow होगी|

Laser Printer

Laser Printers को Xerox द्वारा 1960 Develope किया गया था| Laser Printer Documents को Print करने के लिए Light-Emitting Diode और Photosensitive Drums का उपयोग करते है| इस प्रकार के Printer एक समय में एक पूरे Page को print करते हैं। ये Inkjet Printer से सस्ते होते है| लेकिन इनको चलाने के High Voltage Power Supply की जरूरत होती है| क्योंकि Low Voltage की वजह से Print Quality खराब हो जाती है| इस प्रकार के Printers की Speed बहुत Fast होती है। Laser Printer की Speed 4 से 50 Page/Per Minuate से अधिक होती है| Laser Printer के Commercial Model की Speed 1000 Page/Per Minuate से अधिक होती है|

Speakers

Speaker एक Output Device है, जो Computer से Received Digital Information को Sound में change करते है| Speaker का Primary Objective Listener (Users) को Audio Output Provide करना होता है| Analog Speakers का Main Function Analog Electromagnetic Waves को Sound Waves में Magnify करना होता है| Speaker का use Multimedia Application में होता है|

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Interaction Between the CPU

What is CPU

CPU का पूरा नाम Central Processing Unit है| इसे Processor या Microprocessor भी कहते है| यह Computer से Connected सभी Part को Control करता है| यह एक Electronic Microchip है, जो Data को Information में Change करता है, इसे Computer का Brain भी कहते है| यह Operating System एवं अन्य Program को Execute करता है|

Computer दो Type के Storage का use करता है| Primary Storage और Secondary Storage| CPU Primary Storage एवं Secondary storage के साथ Interact करता है| यह  Instruction और Data दोनों को Refer करता है| Memory CPU का Part नहीं है| जब Computer Program Execute कर रहा होता है, Microprocessor (CPU) Temporarily Data रखता है|

CPU and NIC Interaction

Computer Network में CPU के Primary Function में Network और Computer के बीच Data के Flow को Manage Network Interface Card (NIC) के माध्यम से किया जाता है, जो Computer को Network से Connect करता है। NIC Computer को Network पर अन्य Device के साथ Communication करने और Data Packet Transmit और Receive करने की Permission देता है।

जब NIC द्वारा Data Receive किया जाता है, तो इसे Processing करने के लिए CPU को Send कर दिया जाता है। CPU Data Packet का Analyze करता है| और निर्धारित करता है, कि क्या Action Perform करना है। Example – यदि Packet में Data के लिए Reqeust है, तो CPU Requested Data को Memory से Retrieve करेगा और इसे NIC के माध्यम से Network पर वापस भेज देगा।

इसी तरह जब Computer को Data Transmit करने की आवश्यकता होती है, तो CPU Data को Memory में Read करेगा और NIC को Data Packet Transmit करने का Instruct देगा। CPU Computer और Network के बीच Data के Flow को Manage भी करता है| यह सुनिश्चित करता है, कि Data, Efficiently Transmit और Receive हो।

CPU and Memory Interaction

Computer Network में CPU और Memory का भी महत्वपूर्ण Interaction होता है। CPU Data और Instructions को Store करने के लिए Memory का use करता है, जिस Data को उसे Future में Execute करने की आवश्यकता होती है। Memory Process होने वाले Data और Data को Process करने के लिए CPU द्वारा use किए जाने वाले Instructions को Store करती है।

जब CPU को Data या Instructions को Access करने की आवश्यकता होती है, तो यह उन्हें Memory से Reqeust करता है। Memory अपने Storage Location से Data को Retrieves करती है, और इसे CPU को भेजती है। इसी तरह जब CPU को Memory में Data Write करने की आवश्यकता होती है, तो यह Data को Memory में भेजता है| जो इसे उपयुक्त स्थान पर Store करता है।

Computer Network के Proper Function करने के लिए CPU और Memory के बीच की Interaction महत्वपूर्ण है। यदि Memory बहुत Slow या बहुत छोटी है, तो CPU Data को Efficiently Process करने में सक्षम नहीं होगा, जिससे Performance Slow हो जाएगा या System Crash हो जाएगा।

CPU and Input/Output Devices Interaction

NIC और Memory के अलावा CPU एक Computer Network में Input/Output Device के साथ भी Interact करता है। इन Device में Keyboards, Mouse, Displays, Printers और अन्य सहायक Device include हैं, जो User को Computer के साथ Interact करने की Permission देते हैं।

जब कोई User Keyboard या Mouse का use करके Data, Input करता है| तो CPU Input Receive करता है, और उसे Process करता है। CPU तब Output को Display या अन्य Output Device पर भेजता है, जिससे User अपने Input के Result देख सकता है। इसी तरह जब User किसी Document को Print करता है, तो CPU Data को Printer को भेजता है, जो Document को Print करता है।

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Block Diagram along with its Components and Characteristics

Computer Block Diagram System

मुख्य रूप से Computer System में तीन भाग होते हैं| जो कि Central Processing Unit (CPU), Input Devices, and Output Devices हैं। Central Processing Unit (CPU) को फिर से दो भागों में बांटा गया है – Arithmetic Logic Unit (ALU) और Control Unit (CU)|

Primary और Secondary Storage Devices की मदद से बड़ी मात्रा में Data को Computer Memory में Store किया जाता है। CPU Computer के Mind  की तरह है। CPU द्वारा लिए गए आवश्यक विकल्प के बिना, Users को Desired Output नहीं मिलता है। Central Processing Unit (CPU) उन सभी Instruction के Processing के लिए Responsible है| जो Users द्वारा Computer System को दिए जाते हैं।

Block Diagram

Three units of Computer system

Central Processing Unit (CPU)

CPU (Central Processing Unit) को Computer System का “Brain” या “Heart” भी कहा जाता है| CPU एक Hardware Electronic Device है| जो Arithmetic और Logical Operation जैसे विभिन्न प्रकार के Operation करने में सक्षम है। CPU के अंदर सभी Calculation, Comparison या Operation करने की क्षमता है।

The Function of CPU

  • Memory से सभी Instructions प्राप्त करता है |
  • सभी Instructions के Sequence को Handle करता है |
  • सभी Peripheral Device के बीच Communication करने के लिए|
  • एक Component से दूसरे Component में सभी Data और Instructions के Flow को Handle करता है।
  • Application Program के अनुसार आवश्यक Computation करने में सक्षम होता है।

Input Unit

Input Unit में Input Device जैसे – Scanner, Joystick, Keyboard, Mouse आदि होते हैं। ये Input Device, Users को Computer System में Instruction या Information डालने की या Input करने की अनुमति देते हैं। Input Unit, Computer के साथ Communication Stablish कराने के रूप में भूमिका निभाती है| जो Processing के लिए से Users से Instruction तथा Data को लेकर Computer System तक पहुँचाती है।

The function of the Input Unit

  • Computer, Input Device के माध्यम से Data प्राप्त करता है।
  • Input Unit, Processing के लिए Input किए गए Instruction को Machine-Readable Code (0,1) में बदलने में मदद करती है।
  • Input Device के माध्यम से Data प्राप्त करने के लिए CPU को Instruction देता है।
  • Input Unit, Data को Computer System की Primary Memory में Strore करती है।

Output Unit

Computer System की Output Unit, Calculation के Result को Users को Display करती है| Output Unit आम तौर पर Input Unit की विपरीत प्रक्रिया के रूप में काम करती है| और यह Bainary Language के Digital Information को Electronic Impulse में परिवर्तित करती है| जो Output Device के लिए Readble होती हैं|

कुछ Output device हैं, जिनका Use आमतौर पर Monitor, Projector, Headphone, Speakerआदि के रूप में किया जाता है|  Output unit, Result को दो रूपों में  Provide करती है – Soft Copy या Hard copy| Monitor का Use Screen पर Soft Copy Result को Display करने के लिए किया जाता है| जबकि Printer का Use, Paper पर Hard Copy Result को Display करने के लिए किया जाता है।

The function of the Output Unit

  • Output Unit, Computer System की Primary Memory से में Data या Information प्राप्त (Fetch) करती है।
  • Output unit  Machine Language को Human Language में बदलने में Help करती है|

Units of Central Processing Unit

Control Unit

Control Unit (CU) CPU के अंदर Computer की सभी Activities और Operation को Control करने का काम करता है। Control Unit के पास Input/Output, Memory और अन्य Device को Control करने के लिए Responsible होता है| जो CPU से जुड़े होते हैं।

Control Unit, Instruction या Information के Set को प्राप्त करती है| फिर यह Instruciton Set को Control Signal में बदलने में मदद करती है| फिर इन Signal को Processing के लिए Central Processor में ले जाया जाता है। CU यह समझने में सक्षम है, कि किस प्रकार के Operation को कैसे Execute किया जाना है। Activities को प्राथमिकता (Priority) देने और शेड्यूल करने में Control Signal मदद करते है। यह Input और Output Unit के साथ-साथ Computer के अंदर सभी Processing में Coordinate करती है।

The Function of the Control Unit

  • यह Computer में सभी Internal Processing को Control करता है|
  • यह Input/Output को Control करता है|
  • यह Memory में Program को Read करता है| ALU और Memory में Processing करने के लिए Instruction देता है|
  • यह ALU को Inform करता है, की Data कहा Store है, क्या Operation Perform करना है, तथा Result को कहा Store करना है|

Arithmetic Logic Unit (ALU)

यह Unit, Mathematical तथा Logical Operation Perform करती है| Mathematical Operation में Addition(+), Subtraction(-), Multiplication(*) और Division(/) करती है| ALU में एक Electronic Circuit होता है, जो Mathematical Calculation करता है|

Logical Operation में ALU दो Number या Data को Compare करके Decision लेने का काम करता है| Compare का Result “Yes” या “No” में होता है| ALU, Control Unit के Control में work करता है| यह Memory से Data Receive करता है, उस पर Processing करता है| और Result Memory को Return कर देता है| ALU में अनेक Register और Accumulators होते है|

Memory Unit

सभी Data जिसे Process किया जाना है, या Process किया गया है| Memory Unit में Store किया जाता है| Memory Unit सभी Data के Hub के रूप में कार्य करती है। यह जब भी Requirement हो, Data को Computer के Required Part में Transmit करता है। Memory Unit, CPU के साथ Shrink होकर काम करती है। यह Data को Fast Access करने और Process करने में मदद करता है।

Types of Computer Memory

Primary Memory

इस प्रकार की Memory में बहुत अधिक मात्रा में Data Store नहीं किया जा सकता है| इसलिए, इसका Use केवल हाल के (Current Active) Data को Store करने के लिए किया जाता है। इसमें Store किया गया Data Temporary होता है। जो की Power Off होने के बाद यह Erase हो जाता है। इसलिए इसे Temporary Memory या Main Memory भी कहते हैं।

Random Access Memory (RAM), Primary Memory का Example है। यह Memory सीधे CPU द्वारा Access की जाती है। इसका उपयोग Read और Write के लिए किया जाता है। Data को Process करने के Data को पहले RAM और फिर CPU में Transfer करना पड़ता है।

Secondary Memory

Primary Memory, Temporary Data को Store करती है| इस प्रकार इसे Future में Access नहीं किया जा सकता है। Permanent Storage के लिए Secondary Memory का Use किया जाता है| इसे Permanent Memory या Auxiliary Memory भी कहा जाता है। Hard Disk, Secondary Memory का एक Example है| इस प्रकार के Memory से Power Off होने पर भी Data Erase नहीं होता है|

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What are the Application of Computer

Application of Computer

आज के Generation में Computer का use हर Field में हो रहा है| इनका use Educational, Medical Field, Government Offices, Research Organization, Entertainment, Home आदि में हो रहा है|

Application of Computer

Educational Institution

आज Computer के कारण कोई भी skill सीखना आसान हो गया है। कोई भी Employee या Student  Computer की मदद से जीवन के किसी भी पड़ाव में नई चीजों को सीख सकता है। Online Classes के लिए Computer बहुत महत्वपूर्ण है| Internet से Study Material Download कर सकते है। Students की Attendence और Learing Strategy को Track करने के लिए भी Computer का use किया जाता है। Coaching और institutes ने Computer का use करके Audio-visual aids द्वारा अपने क्षेत्रों में वृद्धि की।

Medical Field

Computer का use Hospitals में Patients के History, Diagnosis, X-rays, Patients की Live Monitoring आदि के Database को बनाए रखने के लिए किया जाता है| आजकल Surgeons, Critical Operation करने और Surgery करने के लिए Robotic Surgical Instruments का use करते हैं। Training Purpose के लिए Virtual Reality (VR) Ttechnologies का भी use किया जाता है।

Government Offices

Government Offices में, Computer का use Data Processing,Citizens के Database को बनाए रखने और Paperless Environment का Support करने के लिए किया जाता है। देश के Defense Organizations को Missile Development, Sattelite, Rocket Launch आदि के लिए Computer के use से बहुत लाभ हुआ है।

Entertainment

आज ज्यादातर लोग इतने Busy हैं| और उन्हें अपने Mind को Fresh करने के लिए आसानी से समय नहीं मिल पाता है। हम Computer का use करके विभिन्न Intresting Video Game खेल सकते हैं। हम Computer पर फिल्में, टीवी शो और रियलिटी शो देख सकते हैं। एक computer का use Sarcastic Meme बनाने और हमें खुश करने के लिए भी किया जाता है।

Banking

एक Bank Server पर कई Account Holder का Details store करके, एक Computer Banking Field में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। Deposits और Withdrawal जैसे सभी लेन-देन Computer द्वारा किए जाते हैं। एक Banking Company आसानी से सभी ATM और Passbook Printing मशीनों की Monitoring कर सकती है| ये सभी चीजे एक Computer के प्रयोग से ही संभव है|

Science

आज Computer, Science के क्षेत्र में Primary Work Tool है। यह Data Collect करने, Analyse करने, Classification करने और Store करने के लिए सबसे उपयुक्त मशीन है। यह National और Internation level पर Information Distribution का Important Medium बन चुका है| यह विभिन्न स्थानों के Scientists को एक साथ काम करने और एक ही Project पर विचार साझा करने की अनुमति देता है।

Home

Computer का use घरो में Online Bills, Online Movies, Video देखने, Social Media Access, Internet का use आदि के लिए  जाता है| E-mail के द्वारा एक दूसरे से Communication करने तथा E-Commerce Websites के Through Onlince Shopping करने के लिए Computer का व्यापक रूप से प्रयोग किया जाता है|

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Classification of Computers based on Size and Processor

Classification of Computers

अब तक Computer का Classification उसकी Structure, Work System एवं Size-type के Base पर किया गया है| वहीं अभी तक जो Capacity Mainframe Computer, Mini Computer या Work Station की होती थी|आज का Personal Computer उतना ही या उससे अधिक Work करता है| मुख्य रूप से Use किये जाने वाले Computers में Personal Computer, Notebook Computer, Pocket Computer, Workstation Computer, Mainframe तथा Super Computer आते है|

Computers Based on the size

Super Computer

Classification of Computers

Super Computer, Data Storage Capacity, Performance और Data Process के मामले में सबसे Powerful होते है। पहला Super Computer 1964 में बनाया गया था| जिसका नाम CDC 6600 था| Super Computer बहुत ही ख़ास Computer होते है, इनका उपयोग बड़ी और Important Research और Scientific Works को करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर इनका उपयोग अंतरिक्ष यान को Lanch करने और उनको Control करने के लिए और अंतरिक्ष में खोज करने के लिए किया जाता है। Super Computer को कार्य करने के लिए ज्यादा जगह की जरुरत पड़ती है| और ये Computer बहुत महँगे होते है।

Working of Super Computer
 मौसम की भविष्यवाणी : Super Computer का इस्तेमाल अनुमान लगाने, मौसम की भविष्यवाणी का, बरसात का, प्रकृति का और इन सब की तीव्रता का अध्ययन करने के लिए किया जाता है।
 भूकम्प की जानकारी लेना : Super Computer का इस्तेमाल भूकंप घटना की खोज करने के लिए भी किया जाता है। इनका इस्तेमाल प्राकृतिक गैस, कोयला और पेट्रोलियम जैसे संसाधनों की खोज करने के लिए भी करते है।
➤ दूरभाष : Super Computer विभिन्न मशीनों, उपकरणों और व्यक्तियों के बीच संचार व्यवस्था (Communication System) को बढ़ाने में सहायक होतें है। Super Computer के और भी कई उपयोग है।

Mainframe Computer

Classification of Computers

Mainframe Computer भी बहुत महंगे होते है| और इनका Use Government Organizations में और बड़ी Business Companies द्वारा Business Automation के लिए किया जाता है| Mainframe Computer भी बड़े कमरे रखे जाते है| जहा इसे ठंडा रखने और दूसरी सुविधाएँ उपलब्ध होती हो| ये बहुत ही बड़ी मात्रा में Data को बहुत Fast Speed से Process कर सकते है। Mainframe Computer, Banks, Educational Institution और Insurance Comapny में Customers के Data को Store करने के लिए किया जाता है।

Mini computer

Mini Computer ज्यादा use होने वाला Computer है| जो की Mainframe Computer से कम Power वाला और Micro Computer से अधिक Powerful होता है| जहा 1970 और 80 के दशक Mainframe Computer Develop हुये| वही Mini Computer ने कम Power वाले Mainframe Computer के बीच की कमी को पूरा किया| इनका Size Mainframe Computer से काफी छोटा होता है|

Micro computer

एक Small Digital Computer जिसका CPU ( Central Processing Unit ) Microprocessor के Design पर Based होता है| यह एक समय में एक ही Person के द्वारा Use किया जाता है| जिसके कारण इन्हें Personal Computer भी कहा जाता है| कभी बड़े Computer से कम Powerful Micro Computer अब के Mini Computer तथा Super Computer से अधिक Powerful हो चुके है|

Computers Based on Processor

Sequential Computer

  • ऐसा Computer जिसमे एक साथ एक ही Instruction Execute होती है|
  • Instruction की Discrete Series में एक Problem Break हो जाती है|
  • Instruction को एक के बाद एक Sequentially रूप से Execute किया जाता है|
  • Instruction के सभी Parts Single Processor पर Execute होते है |
  • किसी भी समय केवल एक ही Instruction Execute हो सकता है|

Parallel Computer

  • ऐसा Computer जिसमे एक साथ एक से ज्यादा Instruction Execute होती है|
  • यह एक Single Processor वाला Computer है |
  • प्रत्येक भाग के Instruction अलग-अलग Processor पर एक साथ Execute होते हैं|
  • Multiple Instruction Parallely Execute होते है|
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Evolution and Generations of Computer

Evolution of Computer

Computer का Evolution मानव द्वारा Accurate और Fast Calculation करने वाले Device को Search करने के कारण हुआ था।Computer का Evolution सबसे पहले Simple Calculation करने के लिए हुआ था| सबसे पहले Abacus का Evolution हुआ और फिर जैसे-जैसे हमारी Calculation और Complex होती गयी| उसी के अनुसार अन्य Computers जैसे – Napier Bones, Pascaline, Leibnia Wheel, Analytical Engine, Census machine आदि का Evolution हुआ|

Abacus

first generation computer

  • Abucus का पूरा नाम Abundant Beads Additon & Calculation Utility System है |
  • यह सबसे पहला Mechanical Computer Device था|
  • लगभग 3000BC में Babylonians द्वारा Evolute किया गया|
  • यह एक लकड़ी का बना होता है| जो दो भागो में Divide रहता है| दो भागो के बीच में तारो में Bit लगे होते है| जिसको Counting के लिए Use किया जाता है| आज भी छोटे बच्चे Basic Calculation सिखने के लिए इसको Use करते है |

Napier Bones

Napier Bones

  • Scottish Mathematician, John Napier ने 1617 में इसका आविष्कार किया था|
  • यह एक चोकोर (Square Shape) सा Device था| जिसपर हड्डियाँ (Bons) या हाथी के दाँत से बने Rods लगे होते थे |
  • इन Rods से Addition, Substraction, Multiplication और Division Calculation होते थे |

Pascaline

pascaline

  • यह 1642 में एक French Mathematician, Blaise Pascal द्वारा खोजा गया।
  • यह Gears या Wheels से बना पहला Mechanical Calculator था।
  • यह Abacus की तुलना में Addition or Substraction Fast करता था |

Leibniz Wheel

wheels

  • इसे 1685 में एक German Mathematician Gottfried Wilhelm Leibniz द्वारा खोजा गया था |
  • उन्होंने Pascal Calculator को ही Extended किया| जिससे वो Addition और Substraction के साथ अब Multiplication और Division भी कर सकता था |
  • इस Device में एक Cylinder या Stepped Drum था| जिसके दांत पहिये से जुड़े हुए थे |

Jacquard Loom

Jacquard Loom

  • इसको 1804 में Joseph Marie Jacquard द्वारा खोजा गया था |
  • इसने Cotton की बुनाई प्रक्रिया को Automatic बना दिया|
  • इस Machine को चलाने के लिए बहुत सारे Punch Cards या ऐसे Cards जिनपे छेद किये जाते है,उनका Use किया जाता था|

Differential Engine

Differential Engine

  • इसे 1822 में एक British Mathematician Charles Babbage द्वारा आविष्कार किया गया था |
  • यह Differential Equation को हल कर सकता था| और यह भाप द्वारा चलता था|
  • यह Machine Calculation भी कर सकती थी| बल्कि उसके साथ उसका Result भी Store कर सकती थी |

Analytical Engine

Analytical Engine

  • यह 1833 में आविष्कार किया गया जो Modern Computer पर Based था|
  • यह पहली Machine थी| जिसमे Five Unit (Input, Output, Store, Mill and Control) थे|
  • इसीलिए Charles Babbage को Computer का Father कहा जाता है |
  • इसका आविष्कार Herman नाम के एक अमेरिकी ने 1889 में किया था
  • इसका आविष्कार अमेरिका की Population की गणना करने के लिए किया गया था|
  • यह Machine भी Punch Cards से काम करती थी| मतलब की पेपर पर छोटे-छोटे छेद किये जाते थे| जिससे इस Machine को Input दिया जाता था |

Generations of Computer

Computer का Development दो Important भागो में हुआ| एक तो Internal structure (Hardware) और दूसरा Software| ये दोनों एक दूसरे पर Depend होने के साथ साथ एक दूसरे के Complementary भी है|

पहला Personal Computer IBM ने 12 अगस्त 1981 को Lanch किया गया था|  जिसका Cost लगभग 1500$ था| और Weight 9.5 kg था| इससे पहले Computer Personal Use के लिए Available नहीं थे| समय के साथ-साथ Computer में कई बदलाव हुए जिसके कारण Computer के नई Generation का Evolution होने लगा|

अब तक Personal Computers (PC) की कुल Five Generation हुई है| जो निम्नलिखित हैं –

First Generation of Computers (1941 – 1954)

First Generation के Computer system में Main memory  के लिए Circuitry और Magnetic Drum के लिए Vacume Tube का Use किया जाता था| ये Computers Size में बहुत बड़े होते थे| जो पूरे कमरे को घेर लेते थे। इन Computers को Operate करने के लिए Cost बहुत ज्यादा लगते थे| और ज्यादा Electricity का use करने के अलावा, ये Computers बहुत ज्यादा Heat Generate करते थे| जिसके कारण वह जल्द ही ख़राब हो जाते थे| इसकी अधिकतम Internal Storage Capacity 20,000 Characters की थी।

First Generation के Computer Machine Language पर Dipendent थे| इन Computers को Operate करने के लिए Low level Programming Language का प्रयोग किया जाता था| ये Computers एक समय में केवल एक Problem को Solv कर सकते थे। एक नई Problem को Setup करने में Operators को दिन या सप्ताह भी लग जाते थे| इन Computers में Input देने के लिए Punch Card और Paper Tape का Use किया जाता था| और Output के लिए Printers का Use किया जाता था।

J. Presper Eckert द्वारा Evoluted UNIVAC और ENIAC Computer First Generation की Computer Technology के Example है। UNIVAC 1951 में U.S. Census Bureau के द्वारा एक Business Client को Deliver किया गया| जोकि पहला Commercial Computer था।

Second Generation of Computers (1955 – 1964)

Computer के Second Generation में Transistor ने Vacuum Tube की जगह ले लिया। 1947 में Bell Labs ने Transistor का आविष्कार किया गया था| लेकिन 1950 के दशक के अंत तक Computer में इसका व्यापक उपयोग नहीं देखा गया था। Computer के  इस Generation में Magnetic Core Memory, Magnetic Tape और Magnetic Disk जैसे Advance Hardware का Use किया जाता था|

Transistor, Vacuum Tube के तुलना में Small व Fast होते है| जिससे Computer अपने First generation के तुलना में छोटे (Small), तेज (Fast), सस्ते (Low cost), Low Power Consumption और अधिक Reliable हो गए| हालांकि Transistor अभी भी बहुत अधिक Heat उत्पन्न करता थे| जो Computer को नुकसान पहुंचाता था| Second Generation के Computer अभी भी Input के लिए Punch Card और Output के लिए Printer पर निर्भर थे।

COBOL, ALGOL, SNOBOL, FORTRAN, जैसे – High Level Programming Language तथा Batch Operating System इसी Generation में आये थे|

Third Generation of Computers (1965 – 1974)

Third Generation में Transistor की जगह Integrated Circuits का use होने लगा| जो की Multiple Transistor, Registers, Capacitor को Silicon Chip पर एक साथ Establish करके बनाया गया था| जिसे Semiconductors कहा जाता है| जिससे Computer की Speed और Efficiency में भारी वृद्धि हुई।

Punch card और Printer के बजाय Users Third Generation के Computer के साथ Keyboard, Monitor और Operating System के माध्यम से एक दूसरे के साथ Interact कर सकते थे| जिसने Computer को एक Central Program के साथ एक समय में कई अलग-अलग Application चलाने की अनुमति दी| इसी Generation में FORTRAN 4, COBOL जेसे High Level Language का Evolution हुआ|

Fourth Generation of Computers (1975 – 1089)

Fourth Generation में Integrated Circuits की जगह Microprocessor chip का use होने लगा|1971 में Intel के द्वारा First Microprocessor (4004 chip) का Evolution किया गया| Microprocessor Computer के सभी Component (Central Processing Unit, Memory, Input/Output) को एक Chip के द्वारा Control करती है| 1981 में IBM ने Home Users के लिए अपना पहला Personal computer Launch किया| और 1984 में Apple ने Macintosh Launch किया।

Advance Technology use होने के कारण| ये Computers धीरे-धीरे Small और अधिक Powerful होते गए| अब इन्हे Network बनाने के लिए एक साथ जोड़ा जा सकता था| जिससे Internet का Development हुआ। Fourth Generation में GUI, Mouse और Handheld Technology के Computer का Development हुआ ।

इस Generation में C Programming Language का Evolution हुआ| इसके साथ-साथ Operating System में भी काफी सुधार हुआ| UNIX, MS DOS, Apple OS, windows तथा Linux में इस Generation में काफी सुधार हुआ|

Fifth Generation of Computers ( 1900 – Till Now)

Artificial Intelligence पर आधारित Fifth Generation की Computer Technology अभी भी Development में है| हालांकि कुछ Application हैं| Ex- Voice Recognition, Face Detection जिनका आज उपयोग किया जा रहा है। Parallel Processing और Superconductor का उपयोग Artificial Intelligence को Reality बनाने में मदद कर रहा है। यह एक Compact और Portable Device में बड़ी मात्रा में Storage को Pack करने के लिए अब तक की Important Creation भी है।

आने वाले वर्षों में Quantum Computation, Molecular, Nanotechnology, Computers को मौलिक रूप से बदल देगी। Fifth Generation के Computing का लक्ष्य ऐसे Device का Development करना है| जो Natural Language Input का जवाब दे| और Learning and Self-organization में सक्षम हो।