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Operating System as a Resource Manager

Operating System Resource Management

एक Operating System (OS) Basic रूप से Software का एक Collection है, जो Computer Hardware Resource को Manage करता है| और Computer Program के लिए Common Service Provide करता है| Operating System Computer System में System Software का एक महत्वपूर्ण Component है|

Operating System as a Resource Manager

  • एक Computer में Multiple Resource (Hardware और Software) होते हैं| जिनकी आवश्यकता किसी Task को Complate करने के लिए हो सकती है।
  • Operating System इन Resource के लिए Manager के रूप में Work करता है| और Special Program को Users को उनके Task के लिए आवश्यक रूप से Allocate करता है।
  • जब Multiple Computer एक Network से जुड़े होते हैं, तो एक से अधिक Computer, एक Comman Resource को Access करने के लिए Try करते हैं| तो Operating System Predefined Order को Follow करता है|और Resource को Efficient Way से Manage करता है।
  • Resource दो तरह से “Time में” और “Space में” Share करते हैं। जब एक Resource एक Time-Sharing Resource होता है, तो प्रत्येक Work को एक Predefined Time के लिए Resource मिलता है।
  • CPU अपने आप में एक प्रकार का Resource है, और OS Deside करता है| कि किसी Special User Program के Execution के लिए कितना Processor Time दिया जाना चाहिए।
  • जब Multiple User एक साथ काम कर रहे हों, तो OS, Memory और I/O Device को भी Manage करता है।

Type of Resource Manager

Resource Management में Multiplexing Resource दो तरह से Include है|

  1. Time Multiplexed
  2. Space Multiplexed

When Included Resource is Time Multiplexed

  • “कौन आगे जाता है और कितने Time के लिए” – Operating system में Time Resource Manager के लिए Main कार्य है |
  • Different Program या user द्वारा Alternate Manner में इसका Use किया जाता है |
  • Operating System के माध्यम से CPU Allocate करके Multiple Program Operate किये जाते है |
  • किसी Program को CPU को use करने के लिए Operating System, Select करता है|

When Included Resource is Space Multiplexed

  • Main Memory को Multiple Runing Program में Devide किया जाता है |
  • Operating System एक के बाद एक Program को Complate करने के बजाय कई Program एक साथ Memory में रखता है|
  • Hard Disk, Multiplex Space के लिए एक अन्य Resource Manager है|
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DOS Operating System, Types of DOS Commands

DOS Operating System

DOS एक Single-Tasking, Command-Line Based Operating System है, जिसे Bootable Disk से Computer की Memory में Load किया जाता है। इसे Computer के Hardware और User के बीच एक Simple Interface Provide करने के लिए Design किया गया था। Window और Linux जैसे Modern Operating System के विपरीत DOS में Graphical User Interface (GUI) नहीं है| और केवल Type किए गए Command पर Work करता है।

Features of DOS

DOS को Limited Resource वाले Personal Computer के लिए एक Simple और Efficient Operating System के रूप में Design किया गया था। कुछ प्रमुख Feature Included हैं-

  • Command-line Interface: DOS एक Command-line interface (CLI) पर Based है, जहाँ User Prompt में Command Type करके System के साथ Interact करते हैं। यह Interface Computer के साथ Interact करने के लिए एक Simple और Efficient Way की Permission देता है।
  • File Management: DOS एक Simple File Management System, Provide करता है| जहाँ File और Directories Create, Copy, Move और Delete जा सकती हैं। DOS द्वारा use की जाने वाली File System को File Allocation Table (FAT) कहा जाता है| और वर्तमान में कुछ Modern Operating System में इसका use किया जाता है।
  • Memory Management: DOS एक Simple Memory Management System, Provide करता है| जो Application को Direct Memory को Access करने की Permission देता है। हालाँकि इसकी Single-Tasking Nature के कारण DOS में Memorh Management Capabilities Limited हैं।
  • Compatibility: DOS को Hardware और Software की एक Wide Range के साथ Compatible करने के लिए Design किया गया था। जिसने इसे 1980 और 1990 के दशक में Personal Computer के लिए एक Popular Operating System बना दिया।

Limitations of DOS

इसकी Popularity के बावजूद DOS की कई Limitation हैं, जिनमें Include हैं-

  • Single-tasking: DOS Single-Tasking Operating System है| जिसका अर्थ है, कि यह एक Time में केवल एक ही Application चला सकता है। इस Limitation ने Multitask को मुश्किल बना दिया और Productivity को Slow कर दिया।
  • Lack of security: DOS में Built-in Security Feature नहीं हैं, जिससे यह Virus और अन्य Malware के प्रति Vulnerable हो जाता है।
  • Limited Memory: DOS में Limited Memory Management Capabilities हैं, जिसका अर्थ है कि Application केवल Limited Amount में Memory, Access कर सकते हैं।
  • Lack of GUI: DOS में Graphical User Interface नहीं है, जो इसे Modern Operating System की तुलना में कम User-Friendly बनाता है।

Type of Dos Command

Internal Commands

Internal Command Built-in Command हैं, जो DOS Operating System के साथ Included होते हैं। इन Command को Execute करने के लिए किसी External Program या File की आवश्यकता नहीं होती है। सबसे अधिक use किए जाने वाले कुछ Internal Command निम्नलिखित हैं-

  • DIR: इस Command का use, Current Directory में File और Subdirectories की List Display करने के लिए किया जाता है।
  • CD: इस Command का use Current Directory को Change करने के लिए किया जाता है।
  • MD: इस Command का use एक New Directory, Create करने के लिए किया जाता है।
  • RD: इस Command का use किसी Directory को Remove करने के लिए किया जाता है।
  • TYPE: इस Command का use Text File के Content को Screen पर Display करने के लिए किया जाता है।
  • COPY: इस Command का use एक स्थान से दूसरे स्थान प,र एक या एक से अधिक File को Copy करने के लिए किया जाता है।
  • DEL: इस Command का प्रयोग एक या एक से अधिक File को Delete करने के लिए किया जाता है।
  • REN: इस Command का use File का नाम Change करने के लिए किया जाता है।

External Commands

External Command अलग-अलग Program या File हैं, जो DOS Operating System में Include नहीं हैं। इन Command को Install किया जाना चाहिए| या एक Directory में रखा जाना चाहिए| जो use किए जाने के लिए PATH Environment Variable में Include है। सबसे अधिक use किए जाने वाले कुछ External Command हैं|

  • FORMAT: इस Command का use Diskette या Hard Disk को Format करने के लिए किया जाता है।
  • CHKDSK: इस Command का use Diskette या Hard Disk का Integrity को Check करने के लिए किया जाता है।
  • XCOPY: इस Command का use Subdirectories सहित File और Directories को Copy करने के लिए किया जाता है।
  • ATTRIB: इस Command का use किसी File या Directory के Attributes को Display करने या Change करने के लिए किया जाता है।
  • SYS: इस Command का use System File को Diskette या Hard Disk  में Transfer करने के लिए किया जाता है।

Batch Commands

Batch Command का use Batch File बनाने के लिए किया जाता है, जो Text File होती हैं| जिनमें DOS Command की एक Series होती है। Batch File को DOS Command Interpreter द्वारा Execute किया जाता है, और इसका use Task को Automate करने या Sequence में Command की एक Series Run करने के लिए किया जा सकता है। सबसे अधिक use किए जाने वाले कुछ Batch Command निम्नलिखित हैं-

  • ECHO: इस Command का use Message को Screen पर Display करने के लिए किया जाता है।
  • PAUSE: इस Command का use Batch File के Execution को तब तक रोकने के लिए किया जाता है, जब तक User एक Key Presss नहीं करता है।
  • GOTO: इस Command का use Batch File में एक Specific Line पर जाने के लिए किया जाता है।
  • IF: इस Command का use किसी Condition को Test करने के लिए किया जाता है, और यदि Condition True है| तो Command Execute करता है।
  • SET: इस Command का use Environment Variable के Value को Set करने के लिए किया जाता है।
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Introduction and Need of Operating System

Operating System

Operating System, System Software की Category में आता है। यह Basic रूप से Computer के सभी Resource को Manage करता है| एक Operating System Software और Computer या Computer Hardware के विभिन्न भागों के बीच एक Interface के रूप में कार्य करता है। Operating System को इस तरह से Design किया गया है, कि यह Computer के सभी Resource और Operation का Manage कर सके।

यह Special Pragram का एक ntegrated Set है, जो Computer के सभी कार्यों को Handle करता है। यह Computer के अन्य सभी Program के Execution को Control और Monitor करता है, जिसमें Application Program और Computer के अन्य System Software भी शामिल हैं।

Need of Operating System

Operating System एक ऐसा Program है| जो System Hardware और users के बीच Interface के रूप में Work करता है| यह Important Software है, जो Computer पर Run होता है| और Instruction के Set को Control करता है| Operating system  ये सभी Work करता है |

  • Input/Output Operation
  • File System Manipulation
  • Error Detection
  • Communication
  • Program Execution
  • Resource Allocation Management
  • Disk Space/Memory/Process Accounting
  • Protection

Type of Operating System

Batch Operating System

Second Generation के Computer में use होने वाला पहला Operating System, Batch Operating System था| इस Type के Operating System में, End-user और Computer के बीच कोई Direct Interaction नहीं होता है| किसी भी Input Data को Computer में Process करने के लिए User को Job Form तैयार करना होता था|

इसके बाद User उस Job को Punch Card की Help से Input कर देता था| Job को Computer में Process करने के लिए एक Operator होता है, जो सभी समान Job को Single Batch में कर देने से Operator के लिए Setup Time काफी Consume हो जाता है|

Advantages of Batch OS

  • किसी भी Task को Complete करने में लगने वाले समय का अनुमान लगाना बहुत कठिन है।
  • Multiple Users, Batch System को Share कर सकते हैं|
  • Batch System के लिए Execution Time बहुत कम होता है|
  • Batch System में बार-बार बड़े काम को Manage करना आसान होता है|

Disadvantage of Batch OS

  • Batch System को Debug करना बहुत मुश्किल है|
  • यह Expensive होता है|
  • यदि कोई Job Fail हो जाता है, तो समय का अनुमान लगाना कठिन होता है|

Multi Programming Operating System

Computer की Main Memory में एक से अधिक Process या Program को Execute करने के लिए रखा गया हो तो, उसे Multi Programming कहा जाता है| यदि Multi Programming Operating System में एक Program को Input/Output Transfer के लिए Wait करना पड़ता है, तो अन्य Program CPU का use करने के लिए तैयार होते हैं। परिणामस्वरूप, विभिन्न कार्य के लिए CPU, Time Share कर सकते हैं| हालांकि उनकी Jobs का Execution एक ही Time Period में Define नहीं किया गया है।

जब कोई Program Execute हो रहा होता है, तो इसे “Task”, “Process” और “Job” के रूप में जाना जाता है| Multi Programming का Primary Target पूरे System के Resource को Manage करना है। Multi Programming  System के प्रमुख Component File System, Command Processor, Transient Area और I/O Control System हैं।

Advantages of Multi Programming OS

  • यह कम Time में Response करता है।
  • यह Computer के Total job Throughput को Optmize करने में मदद करता है।
  • इसमें  विभिन्न users एक साथ Multi Programming System का Use कर सकते हैं।
  • इसमें Long Time Jobs की तुलना में Short Time Jobs जल्दी Execute की जाती है।
  • यह Short Time Task के लिए Turnaround Time को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।

Disadvantage of Multi Programming OS

  • यह बहुत Complicated और Sophisticated है।
  • इसमें CPU Scheduling की आवश्यकता होती है।
  • Operating System में Memory Management की आवश्यकता होती है, क्योंकि सभी प्रकार के Programs, Main Memory में Store होते हैं।
  • यदि इसमें बड़ी संख्या में Jobs हैं, तो Long-Term Jobs के लिए ज्यादा Wait करना होगा।

Multitasking Operating System

एक समय में एक से अधिक Application चलाने वाले Operating System को Multitasking Operating System (MOS) के रूप में जाना जाता है। Multitasking Operating System, Desktop या Mobile Operating System (OS) हो सकता है। Operating System में चलने वाले विभिन्न Application हैं|

Ex- MS Word, MS Excel, Email Application, Browser, Media Player आदि Multitasking Operating System पर चलने वाले Applications है।

Advantage of Multitasking OS

  • Timesharing
  • Handle Multiple Users
  • Protected Memory
  • Best use of Computer Resources

Disadvantage of Multitasking OS

  • यह Logical Parallelism Provide करता है।
  • यह Low Response Time Provide करता है।
  • यह CPU Utilization Provide करता है।

Distributed System

जब Multiple Computer किसी Network के Medium से आपस मे Interconnected होकर एक दूसरे से Task Sharing करते है, तो उसे Distributed System कहा जाता है। ये Operating System कई Real Time Application और Multiple user की Services के लिए कई Central Processing का use करते है। ये Processor, Different Type की Communication Lines Ex- High-Speed Buses या Telephone Lines का use करके आपस मे Communication करते है। इन Computer के बीच CPU और Memory को छोड़कर बाकी सभी Resource Share किये जाते है। इसीलिये इसे Loosely Coupled System भी कहा जाता है।

Advantages of Distributed System

  • Data Sharing
  • Failure Handling
  • Efficiency

Disadvantages of Distributed System

  • Distributed OS, Less Secure होता है|
  • Single-User System के विपरीत Distributed OS से Connected Database Relatively Complex और Manage करने में कठिन है।
  • यदि Main Network Fail हो जाता है, तो यह Commmucation को Stop कर देता है|
  • Distributed OS बहुत Expensive होते हैं।

Network Operating System

इन Operating System में एक Server होता है, जिससे कई दूसरे Client Computer Connected रहते है। Network Operating System इस Central Server को अन्य सभी Client Computer के Data, Security, Application और अन्य Networking Function को Manage करने की Capacity Provide करता है| ये Operating System के द्वारा अन्य छोटे Private Network को अपने Network से Add करके अन्य Computer तक File, Printer, Security, Application और अन्य Networking Work की Sharing को Allow करते है।

Advantages of Network OS

  • Central Server के कारण Stable होते है ।
  • High Security, Provide करते है ।
  • Network में नई Technolgy और Hardware के Upgradation को आसानी से Apply किया जा सकता है।

Disadvantage of Network OS

  • ये Expensive Server होता है |
  • यह Central Location पर Depend करता है |
  • Regular Updatation और Maintenance की आवश्यकता होती है|

Real Time Operating System

इन Operating System में CPU का Response Time बहुत Important है| इस Type के Operating System, Realtime में Work करते है| अर्थात Input को Process करने और Response देने में लगने वाला Required Time बहुत कम होता है| इस Time Interval को Response Time कहा जाता है| Real-Time Operating System का use तब किया जाता है, जब Time की Importance बहुत अधिक होती है|

Advantage of Real Time OS

  • Device और System का Resource Maximum use करके Fast Output देता है|
  • Shifting Work के लिए दिया गया Time बहुत कम होता है|
  • यह Currently Running Application पर Focus करता है, और Queued Application को कम Importance देता है|
  • Program का Size छोटा होता है|
  • यह Error Free होता है |
  • Memory Allocation अच्छी तरह से Manage करता है|

Disadvantage of Real Time OS

  • एक ही Time में केवल कुछ Task Run करता हैं|
  • System Resource Expensive होते हैं|
  • इसका Algorithms लिखने में Complex होता है|
  • इसके लिए Special Device Driver की Requirement होती है|

Time Sharing Operating System

Time Sharing Operating System जिसमे प्रत्येक Process को Execution के लिए एक Fixed Time दिया जाता है। माना एक System से अनेक User Connected है, तो प्रत्येक User CPU का Use करने के लिए आपस में Time Share करेंगे| यदि एक User के लिए CPU use करने का Time Two Second है, तो System Two Second बाद दूसरे User को Available हो जाएगा| इन Operating System को हम Multitasking Operating System भी कहते है।

Advantage of Time Sharing OS

  • यह Quick Response Provide करता है|
  • CPU का Response Time कम कर देता है|
  • सभी Task को Fixed Time दिया जाता है|
  • Software के Duplication की Possibility Low होती है|
  • Response Time को Improve करता है|

Disadvantage of Time Sharing OS

  • Hardware के High Specification की आवश्यकता होती है|
  • इसमें Reliability की Problem होती है|
  • Data Communication में Problem होती है|

Multiprocessing System

Computer System सिर्फ एक Processor या CPU का use करते है। परन्तु Multiprocessing Operating System में Multiple Processor का Use किया जाता है| इन System के पास Parallel में Work करने वाले कई Processor होते है| जो Compute Clock, Memory, Bus और Peripheral Device इत्यादि को आपस मे Share करते है। Multi Tasking Operating System में RAM Memory में Available एक से अधिक Task को इस तरह Process किया जाता है, जिससे कि Computer के Resources का Maximum Use किया जा सके|

Advantages of Multiprocessing System

  • Increased Reliability
  • Increased Throughout
  • The Economy of Scale

Disadvantages of Multiprocessing System

  • More Memory Required
  • Deadlock
  • Low Performance
  • Expensive
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Hardware and Software with its types

Hardware

Hardware, Computer के Physical component को Refer करता है, जिसे हम View और Touch कर सकते हैं। Computer System में Circuit Board, IC’s एवं अन्य Electronic Devices लगे होते हैं। यह एक Physical Component है, जिसका Computer या किसी अन्य Machine को बनाने के लिए विभिन्न तरीकों से Use किया जाता है।

Memory Devices, Processor, Central Processing Unit, Mouse और Keyboard सभी Computer System में Hardware के Example हैं। एक Computer System बिना किसी Hardware के Complete नहीं होगा और कोई भी Software चलाने में सक्षम नहीं होगा। क्योंकि Hardware Computer का Main Component होता है|

Type of Hardware

Key-Board

यह अधिक Use होने वाला एवं Important Input Device है |यह एक Typewriter का Modify रूप है|इसमें Key की संख्या Typewriter से अधिक होती है| इनकी संख्या 101 से 108 तक होती है|Keyboard पर सभी Characters, Number तथा अन्य Symbol होते है, जिनके द्वारा Data Input किया जाता है| Keyboard एक Cable से System Unit से जुड़ा रहता है| यदि 0.5 से अधिक समय तक Key Press किये रह जाते है, तो वही Key बार बार Input होता है |

Types of Keys in Keyboard

Numeric Keys: इसका Use Numeric Data Enter करने या Cursor को Move करने के लिए किया जाता है। इसमें 17 Key का एक Set होता है।

Typing Keys: Letter Keys (A-Z) और Number Keys (0-9) इन Keys में से हैं।

Control Keys: ये Key Pointer और Screen को Control करती हैं। इस पर Four Directional Arrow Keys होती है ।Home, End, Insert, Alternate(Alt), Delete, Control(Ctrl) आदि, और Escape सभी Control keys (Esc) हैं।

Special Keys: Enter, Shift, Caps Lock, NumLk, Tab, आदि, और Print Screen keyboard पर Special Function Key में से हैं।

Function Keys: Keyboard की सबसे ऊपरी Row पर F1 से F12 तक की 12 key होती है ।

Mouse

Mouse में तीन Button होते है, Mouse के Button को Finger से Click करने Computer को Input दिया जाता है| यह Computer Screen पर Cursor की Speed को Control करता है| और Users को Computer पर Folders, Text Files को Select एवं Transfer करना Allow करता है। जब User Mouse को Move करते हैं, तो Cursor Display Screen पर उसी Direction में Move करता है।

Mouse का use इस प्रकार करते है |

Single-Click – Left Button के एक Click से Screen पर Object को Select करने के लिए किया जाता है |

Double-Click – Left Button से लगातार दो बार Click करने से Object Open हो जाता है |

Right- Click – Right Button को एक बार Click करने Content Menu Open होता है, जिसमे कई Option होते है |

Joystick

Joystick भी Mouse की तरह Computer Screeen पर Cursor को Control करता है| Joystick में एक Stick लगी होती है, जिसे हाथ में पकड़कर Cursor को Control किया जाता है| Joystick को Control करने के लिए इसमें कुछ Button भी लगे होते हैं, जिन्हें Trigger कहते हैं| Joystick का Use Computer पर Game खेलने के लिए किया जाता है|

Light Pen

Light Pen एक प्रकार का Pointing Device है| जो Pen की तरह दिखता है। इसका Use Menu Item को Select करने या Monitor Screen पर Image बनाने के लिए किया जा सकता है।

Monitor

यह Output Hardware Device में सर्वाधिक use होने वाला Device है| User के Monitor द्वारा ही Computer से Interact करता है| जिससे Computer में Output को Display किया जाता है| ये Hardware Laptop में Small Size का और Desktop में थोड़ा Big होता है| इसे Visual Display Unit (VDU) भी कहते है |

Monitor दो प्रकार के होते है

  1. Cathode Ray Tube Monitor (CRT)
  2. Flat Panel Display Monitor (FPT)

Software

Software Instruction तथा Program का वह Group है, जो Computer को किसी Special Work को Complete करने का Instruction देता है| यह User को Computer पर Work करने की Capacity Provide करता है| Software के बिना Computer Hardware एक Box होता है| इससे कोई Work नहीं कर सकते है|

Software को हम Touch नहीं कर सकते है, और न ही View कर सकते है| Software जो आपको Smartphone Tablet, Game box, Media Player और इसी तरह के अन्य Device के साथ Communication करने को Allow करता है| MS Office, Photoshop, Adobe Reader सभी Different Type के Software है|

Type of Software

System Software

System Software वह Software है, जो Computer Hardware को Directly Operate करता है| और Users के साथ-साथ अन्य Software को Smoothly Operate करने के लिए Basic Functionality Provide करता है। अथवा System Software Basic रूप से Computer की Internal Function को Control करता है और Hardware Device जैसे Monitor, Printer और Storage Device आदि को भी Control करता है|

यह Hardware और User Application के बीच एक Interface की तरह Work करता है, यह उन्हें एक दूसरे के साथ Communication करने में मदद करता है| क्योंकि Hardware Machine Language (अर्थात् 1 या 0) को समझता है| जबकि User Application Human-Readable Language जैसे – English, Hindi, German आदि में काम करते हैं| इसलिए System Software Human-Readable Language को Machine language तथा Machine language को Human-Readable Language में परिवर्तित करता है|

Features of System Software

  • System Software Computer System के करीब होतें है।
  • System Software सामान्य रूप से Low Lavel Language में लिखा जाता है।
  • System Software को Design करना और समझना मुश्किल है।
  • System Software की Speed Fast होती है।

Application Software

Application Software ऐसे Program को कहा जाता है| जो किसी Special Work को करने के लिए बनाया जाता है|इसे Application या Apps के नाम से भी जानते है| इस तरह के Software को Personally Users का Help करने के लिए Develop किया जाता है| Application Software की Help से एक ही Special Task को Perform कर सकते है| User के Need के अनुसार Different तरह के Work करने के लिए Different तरह के Application Software होते है|

Example– Office का Salary तैयार करना, Report Print करना, Stock का Interpretation करना आदि| इस तरह के Software को बड़ी-बड़ी Company User की जरुरत को ध्यान में रखकर Develop करती है |

Features of Application Software

  • Information और Data का Management करना|
  • Document को Manage करना|
  • Accounting, Finance, and Payroll को Manage करना|

Utility Software

Utilities Software एक ऐसा Computer Programming System है, जो Computer को Configure, Analyze, Optimize और Maintain करने का Work करते है| इस तरह के Software Program आपके Computer को Additional Functionality Provide करते है| जिससे कि Computer बेहतर Perform कर सके|

Example- Antivirus, Disk Repair, Backup, File Management, Networking Program आदि Utilities Software है| इस Type के Program को Computer System और System Software के लिए Develop किये जाते है| जिससे कि Computer पूरी Capacity के साथ Fast Work कर सके|

Antivirus

Virus को एक Malicious Program के रूप में Define किया जा सकता है| जो खुद को एक Host Program से जोड़ता है, और System को Slow, Corrupt और Destroy करते हुए खुद की कई Copy बनाता है| एक Software जो OS तथा Users को Virus free Environment Provide करने में सहायता करता है, Antivirus कहलाता है।

एक Antivirus किसी भी Virus के लिए System को Scan करता है और यदि पता चल जाता है, तो उसे Computer से Remove करता है| यह कई तरह के Virus Ex- Boot Virus, Trojan, Worm, Spyware आदि का पता लगा सकता है।

Difference between Hardware and Software

Hardware

Software

यह Computer का Physical Part होता है| यह Instruction का एक Set है, जो Computer को बताता है कि Exactly क्या करना है।
Hardware Computer का Physical Component होता है| Software Computer का Physical component नहीं है|
Computer Virus Hardware को Effect नहीं कर सकते। Computer Virus Software को Effect कर सकते हैं।
Hardware को Upgrade करने के लिए उसे change करना पड़ता है Software को बिना change किये Upgrade किया जा सकता है

 

 

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ASCII and EBCDIC coding System

ASCII Code

Computer केवल Numeric Value (0, 1) ही समझ सकते हैं। लेकिन, यह हमेशा निश्चित नहीं होता है, कि सभी Input Numeric रूप में दिए गए हों| इसलिए, एक Encoding System की आवश्यकता थी| जो Text File को Numeric Values में Convert कर सके। इसके लिए ASCII Develop किया गया था| इसका पूरा नाम AMERICAN STANDARD CODE FOR INFORMATION INTERCHANGE है| जिसको English में 128 Character को Seven Bit Integer में Represent करने के लिए Use किया जाता है।

128 में से 95 Character को Print किया जा सकता हैं| जिनमें 0 से 9 तक Digit, A से Z तक के Lowercase और Uppercase Character और Punctuation Symbol Included हैं। ASCII का उपयोग Electronic Communication में किया जाता है। ASCII का Evolution Telegraph Code से हुआ था| और इसे Teleprompter के लिए 7-Bit Code के रूप में Implement किया गया था। Telegraph Code की तुलना में, ASCII Code अधिक सुविधाजनक होते हैं| ASCII Code को Data के Internal Representation व Data Transmission में Use किया जाता है |

Uses of ASCII Code

  • ASCII Code को 1963 में Telegraph में 7-Bit Teleprompter Code के रूप में Use किया गया था।
  • ASCII Code को 1968 में America के सभी Computer के साथ Include करना अनिवार्य किया गया|
  • ASCII Code को  2007 में UTF-8 के द्वारा Replace किया गया|

Types of ASCII Code

  • ASCII-7 (7-bit Coding System)
  • ASCII-8 (8-bit Coding System)

Representation of Characters in ASCII Code

Number Zone digit ASCII-7 code
0 011 0000
1 011 0001
2 011 0010
3 011 0011
4 011 0100
5 011 0101
6 011 0110
7 011 0111
8 011 1000
9 100 1001
A 100 0001
B 100 0010
C 100 0011
D 100 0100
E 100 0101
F 100 0110
G 100 0111
H 100 1000
I 100 1001
J 100 1010
K 100 1011
L 100 1100
M 100 1110
N 100 1111
O 100 0000
P 101 0001
Q 101 0010
R 101 0011
S 101 0100
T 101 0101
U 101 0101
V 101 0110
W 101 0111
X 101 1000
Y 101 1001
Z 101 1010

EBCDIC Code

EBCDIC का पूरा नाम Extended Binary Coded Decimal Interchange Code है, जो 8-Bit या 1-Byte का होता है। यह एक Coding System है| जिसका उपयोग Computerized (Binary) Language में Characters-Letters, Numeric, Punctuation Marks,और अन्य Symbol का Represent करने के लिए किया जाता है| EBCDIC में एक Character को 8-Bit Binary Number द्वारा Represent किया जाता है|

EBCDIC Coding System को मुख्य रूप से IBM Mainframe और IBM Mid-Range, Computer Operating System पर उपयोग किया जाता है|EBCDIC Coding System के प्रत्येक Byte में दो Nibble होते हैं| पहले 4-Bit (Nibble) Character, Class को Define करते हैं| जबकि दूसरा 4-Bit (Nibble) उस Class के Character (Properties) को Define करता है।

EBCDIC अन्य सभी Computer द्वारा Use किए जाने वाले ASCII Character Set से अलग और Incompatible है| EBCDIC Code 256 Character को Binary Code में Convert करता है|  EBCDIC Coding System को IBM की Per-Electronic (PUNCHED CARD) Machine में सबसे पहले Use किया गया था|

Representation of Characters in EBCDIC Code

Number     Zone digit EBCDIC Code
0 111 0000
1 111 0001
2 111 0010
3 111 0011
4 111 0100
5 111 0101
6 111 0110
7 111 0111
8 111 1000
9 111 1001
A 1100 0001
B 1100 0010
C 1100 0011
D 1100 0100
E 1100 0101
F 1100 0110
G 1100 0111
H 1100 1000
I 1100 1001
J 1100 0001
K 1100 0010
L 1100 0011
M 1100 0100
N 1101 0101
O 1101 0110
P 1101 0111
Q 1101 1000
R 1101 1001
S 1101 0010
T 1101 0011
U 1101 0100
V 1101 0101
W 1101 0110
X 1101 0111
Y 1101 1000
Z 1101 1001

 

Difference between ASCII Code and EBCDIC Code

  • ASCII Code, Electronic Communication के लिए एक Popular Coding System है, लेकिन EBCDIC मुख्य रूप से IBM Platform पर Use किया जाने वाला Encoding Standard है।
  • ASCII 128 Character को Coded कर सकता है, जबकि EBCDIC अधिकतम 256 Character को Encode कर सकता है।
  • EBCDIC Code, Encoding के लिए 1-Byte का Use करता है| लेकिन ASCII एक Signal Character को Encode करने के लिए 7-Bits का Use करता है।
  • ASCII एक अच्छा Coding Plan है, क्योंकि इसके लिए कम Memory की Requirement होती है।
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Memory Addressing and its Importance

Memory Addressing

Memory Addressing एक Unique Identifier है, जिसका प्रयोग CPU द्वारा Data Tracking के लिए किया जाता है| यह एक Binary Address है, जो कि Finite Sequence के द्वारा Define किया गया है| जिससे CPU, Memory के प्रत्येक Byte के Location को Track कर सकता है| इसमें Ram के Cell को एक Binary Number Assign किया जाता है, जोकि एक Byte Data को Store करता है|

CPU, Data Buses के माध्यम से Memory Address तक पहुंच कर Stored Data को Track करते है| CPU Processing से पहले, Data और Program को Unique Memory Address Location पर Store किया जाना चाहिए| Operating System, Basic INput/Output System (BIOS) Program तथा Device Drivers को Memory Address की आवश्यकता होती है| Memory Addresses Boot Process के दौरान Allocate किये जाते है|

Type of Memory Addresses

Physical Addresses

एक Digital Computer की Main Memory में कई Memory Lcation होते है| प्रत्येक Memory Location को Binary Numbers के Through Represent किया जाता है, जिसे Physical Address कहते है| Physical Address को Address Bus Circuitry पर Represent किया जाता है| जिससे कि Data Bus के द्वारा Main Memory के Particular Storage Cell को Access किया जा सके|

Logical Addresses

एक Computer Program, Machine Code को Execute करने और Data को Store तथा Retrieve करने के लिए Memory Address का use करता है| Early Computer में Logical और Physical Address Same होते थे| लेकिन Virtual Memory की शुरुआत के बाद में Application Program को Physical Addresses का Knowledge नहीं होता है| इसलिए Application Programs Computer की Memory Management Unit और Operating System Memory Mapping का use करके Logical Address को Represented करते है|

Importance of Memory Addressing

  • Quick Data Access को Support करती है|
  • Computer Programming में Pointers को Implement करने में Additional Support Provide करता है|
  • यह  के Storage को Structured Way Provide करता है|
  • यह Data के Processing को Fast बनाता है|
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Importance of Binary Number System

Number System

किसी भी काम को Numbers के Through Represent करने के तरीके को Number System कहते है| Decimal Number System सबसे ज्यादा Use होने वाला Number System है, जबकि अन्य विभिन्न प्रकार के Number System (Binary Number System,Octal Number System,Hexa Decimal Number System) जिनका Computer System में प्रयोग किया जाता है|

Type of Number System

Number system को इनमे Available number of digit के base पर Define किया जाता है| ये चार Type के होते है –

  1. Binary Number System
  2. Decimal Number System
  3. Octal Number System
  4. Hexadecimal Number System

Binary Number System

हम जो भी Computer को Input देते है, उसे Computer Binary Number System (0,1) में समझता है| जहाँ 1 का मतलब Switch On (True) होता है, और 0 का मतलब Switch Off (False) होता है| Computer का सभी Work System इन्ही दो संकेतो (0,1) पर Depend करती है| इसका Base 2 होता है|

प्रत्येक Binary Digit को Bit भी कहते है| Binary Number System एक Positional Value System है| जहां प्रत्येक Digit की Value को 2 के Power में Express किया जाता है| Binary Number System का use Machine Language में किया जाता है| इसीलिए Machine Language को Binary Language भी कहा जाता है|

Example: (10001)2

Applications of Binary Number System

Computer Technology में Binary Number System बहुत useful है, और Computer Programming Language भी Binary Number System का use करती है| जो Digital encoding में सहायक होती है। Binary Number System का use Boolean Algebra में भी किया जा सकता है|

Decimal Number System

Decimal Number System एक Base 10 Number System है| जिसमे 0-9 Numbers होते है| Decimal Number System भी एक Positional Value System है| अर्थात Digits का Value उनके Position पर Depend करता है| क्योंकि इस Number System में 10 Numbers और इसका Base 10 होता है| इसलिए इसे Octal Number System कहते है|

Example:  (182)10, (5423)10, (6275)10

Applications of Decimal Number System

Decimal Number System का Use, Normal Mathematical Calculations के साथ-साथ Computers में भी किया जाता है|

Octal Number System

Octal Number System में 8 Numbers (0,1,2,3,4,5,6,7) होते है| Decimal Number System भी एक Positional Value System है| जहां प्रत्येक Digit की Value 8 के Power में होती है| क्योंकि इस Number System में 8 Numbers और इसका Base 10 होता है| इसलिए इसे Octal Number System कहते है|

Example:  (456)8, (127)8, (4321)8

Applications of Octal Number System

Octal Number System का use UNIX System पर File Permission और UTF8 Number के Representation के लिए एक किया जाता है।

Hexadecimal Number System

Hexadecimal Number System में 16 Digit होते है| जिसमे 0-9 Numbes और A-F Alphabets होते है| जहां A, 10 को Represent करता है, और F, 15 को Represent करता है| Hexadecimal Number System भी एक Positional Value System है| जहां प्रत्येक Digit की Value 16 के Power में होती है| क्योंकि इस Number System में 16 Numbers और इसका Base 16 होता है| इसलिए इसे Hexadecimal Number System कहते है|

Example: (AF5)16, (A21)16, (FFFF)16

Applications of the Hexadecimal number system

  • Microprocessor और Computer Programming में use किया जाता है।
  • प्रत्येक Byte के लिए Memory में Locations का Describe करने के लिए use किया जाता है।
  • Web Page पर Color का Describe करने में मदद करता है।

Importance of Binary Number System

Binary Number System सभी Computer Systems और Operation का Base होता है| यह Computers को CPU या Memory से द्वारा सभी प्रकार की Information को Store, Access और Manipulate करने में सक्षम बनाता है। Digital 1s और 0s का Binary Schema Computers को काम करने के लिए एक Simple और Effiecient तरीका प्रदान करता है। यह Logic Circuit को Control करने और Electric Signal के True (1) और False (0) States को Detect करने का Efficient तरीका भी प्रदान करता है। इससे ऐसे Application को Develop करना संभव हो जाता है, जो Users को निम्नलिखित कार्य करने में सक्षम बनाते हैं –

  • Access Website
  • Create and Update Documents
  • Play Game
  • Access Software etc.
fcit

Definition of Information, Difference between Data and Information

Information

Information को Data की Meaningful Interpretation के रूप में Define किया गया है। यह एक तरह से Data को Process, Organize और Structuring करने का Result है, जो Context, Relevance और Significance Provide करता है। Information विभिन्न Data Processing Technique को Apply करके बनाई जाती है| जैसे कि Sort करना, Filter करना, Summary बनाना और Analyze करना। Information Generate करने का उद्देश्य Decision-Making, Communication और Understandbility को सक्षम बनाना है।

Type of Information 

Data Information

Data, Information का Raw Form है| जिसका use Facts, Figure और अन्य Information को Represent करने के लिए किया जाता है। Data को Computer Network पर विभिन्न रूपों में Transmit किया जा सकता है| जैसे Text, Image, Video और Audio। Network Application की आवश्यकताओं के आधार पर Data को Real-Time या Batch Mode में Transmitt किया जा सकता है।

Voice Information

Voice Information एक Computer Network पर Human Speech के Transmission को Refer करती है। Voice Over IP (VoIP) Technology का Use करके Voice Information Transmitt की जाती है। VoIP Technology, Analog Voice Signal को Digital Signal में Convert करती है| जिसे Computer Network पर Transmit किया जा सकता है। VoIP Technology का व्यापक रूप से Business Communication Systems, जैसे Call Center, और Personal Communication Application, जैसे Skype में use किया जाता है।

Video Information

Video Information एक Computer Network पर Moving Image के Transmission को Refer करती है। Video Streaming Technology का use करके Video Information, Transmit की जाती है। Video Streaming Technology User को Complete Video File, Download किए बिना Realtime में Video देखने की Permission देती है। Video Streaming Technology का व्यापक रूप से Online Video Platform, जैसे YouTube और Video Conferencing Application के लिए use किया जाता है।

Control Information

Control Information उस Information को Refer करती है, जिसका use Network Device के Operation को Control करने के लिए किया जाता है। Simple Network Management Protocol (SNMP) और Remote Procedure Call (RPC) जैसे विभिन्न Protocol का use करके Computer Network पर Control Information Transmit की जाती है। Control Information का use Network Device, जैसे Rounter, Switch और Server को Manage करने के लिए किया जाता है।

Management Information

Management Information उस Information को Refer करती है, जिसका use Computer Network के Performamce को Manage और Monitor करने के लिए किया जाता है। Management Information Network Management Protocol , जैसे Simple Network Management Protocol (SNMP) और Common Management Information Protocol (CMIP) का use करके Transmit की जाती है। Management Information का use Network Traffice की Monitoring करने, Network Problem का Diagnose करने और Network Device को Configure करने के लिए किया जाता है।

Difference between Data and Information

Aspect Data Information
Definition Raw Facts और Figures जिनका अपने आप में कोई Meaning नहीं है| Processed, Organized, और Meaningful Data
Format Unorganized और Unprocessed Organized और Processed
Purpose Process और Information में परिवर्तित करने के लिए User को Knowledge और Understanding प्रदान करने के लिए
Context Data किसी विशेष Domain या Application के लिए विशिष्ट है| Information एक व्यापक Context या Purpose के लिए Relevant है|
Meaning Data का अपने आप में कोई Meaning या Interpretation नहीं है| Information का Meaning और Interpretation है|
Representation आमतौर पर एक Numerical या Binary Format में Represent किया जाता है| Text, Image जैसे विभिन्न Formats में प्रदर्शित किया जा सकता है|
Volume Application के आधार पर बड़ा या छोटा हो सकता है| आम तौर पर Data की तुलना में Volume में छोटा होता है|
Transmission एक Network पर Raw या Compressed Data के रूप में Transmit किया जा सकता है| आमतौर पर एक Network पर Information के रूप में Transmit किया जाता है|
Storage आमतौर पर एक Database या File System में Store होता है| आसानी से Access और Retrieve करने के लिए Structured Way से Store किया जाता है|
Examples Temperature, Humidity, Voltage, Raw Sensor Data Weather Report, Financial Report, Traffic Report
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Modem, Sound Cards and Speakers

Modem

Modem एक Network Hardware Device है, जो किसी Computer को एक Telephone Line या Cable या Satellite से Connection करने पर Data Send और Receive करने की Permission देता है| जिससे Digital Data को Phone-Line पर Use किये गये Analog Signal में Convert किया जाता है| Modem Input और Output दोनों Device है| Modem में केवल तीन Port होते है| पहला Internet से Connect होता है, दूसरा Router से तथा तीसरा Power Source से Connect होता है |

Type of Modem

  • External Modem

यह एक Box होता है, जो Modem के Circuit को Computer के बाहर रखता है| यह Computer से एक USB Cable या फिर Firewire की सहायता से Connected होता है|

  • Internal Modem

यह एक Circuit Board होता है| जो Computer के Expansion Slot में Plug होता है| आजकल Modem PC Card के रूप में आते है, जो Laptop में Inbuilt होता है| Internal Modem को Mobile Phone से Connect करके Data Transmit कर सकते है |

Sound Card

Sound Card को Audio Card के रूप में भी जाना जाता है| यह एक Computer Expansion Card है, जो Computer को Audio Signal Output और Input करने की Permission देता है। यह Computer के Sound Quality  के लिए Responsible होता है| जिसमें Music, Speech और Gaming Sound Includes हैं। Sound Card विभिन्न प्रकार के आते हैं, जो उनकी Feature और Capabilities को Define करते हैं।

Types of Sound Cards

  • Integrated Sound Cards

अधिकांश Motherboards Integrated Sound Card के साथ आते हैं, जो Built-in Component होते हैं| जिन्हें किसी Installation की आवश्यकता नहीं होती है। Integrated Sound Card, Basic Sound Application के लिए Affordable और Suitable होते हैं| लेकिन उनमें High Sample Rate, Low Noise Level और Multiple Output Channel जैसी Advanced Feature नहीं हो सकती हैं।

  • PCI Sound Cards

PCI Sound Card, Expansion Card होते हैं, जो Motherboard के PCI Slot में Install होते हैं। ये High Sound Quality, Low Latency और Multiple Input और Output Channel Provide करते हैं। PCI Sound Card, Music Production, Gaming और Professional Audio Recording के लिए उपयुक्त हैं।

  • USB Sound Cards

USB Sound Card, External Device हैं| जो USB Port के माध्यम से Computer से जुड़ते हैं। वे High-Quality Sound, Low Latency और Portability Provide करते हैं। USB Sound Card, Limited Expansion Slot वाले Laptop, Tablet और Computer के लिए उपयुक्त हैं।

Working of Sound Cards

Sound Card, Analog Audio Signal को Digital Signal तथा Digital Signal को Analog Audio Signal में Convert करता है। यह Output के लिए Digital Signal को Analog Signal में बदलने के लिए Digital-to-Analog Converters (DACs) का use करता है| और Analog-to-Digital Converters (ADCs) का use Analog Signal को Input के लिए Digital Signal में बदलने के लिए करता है। Sound Card में एक Built-in Amplifier भी होता है, जो Ouput से पहले Analog Signal को Amply करता है।

Speakers

Speaker एक Device है, जो Electrical Signal को Sound Wave में Convert करता है| जिससे Computer को Audible Output उत्पन्न करने की Permission मिलती है। यह एक Output Device है, जो Multimedia Applications, Gaming, and Video Conferencing के लिए आवश्यक है।

Computer Speaker विभिन्न Shape और Size में आते हैं, जिनमें छोटे USB-Powered Speaker से लेकर Subwoofer वाले बड़े Desktop Speaker Include हैं। कुछ Computer System में Built-in Speaker भी होते हैं, जो आमतौर पर External Speaker से कम Pewerful होते हैं।

Computer Speaker आमतौर पर 3.5 mm Audio Jack, USB Port या Bluetooth Connectivity के माध्यम से Computer के Sound Card से जुड़े होते हैं। Sound Card, Audio Singal को Process करता है|और इसे Speakers को भेजता है, जो Electrical Signal को Sound Wave में Convert करते हैं। Frequency Response, Impedance और Power जैसे Speaker Specification, Sound Produce की Quality निर्धारित करते हैं।

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Printers and Types of Printers

Printer

Printer एक Output Device है, जिसका Use किसी Document की Hard Copy Print करने के लिए किया जाता है। एक Document किसी भी प्रकार का हो सकता है| जैसे Text, File, Image या दोनों का Combination। यह Document को Print करने के लिए Computer या अन्य Device पर user द्वारा Input Command को Accept करता है।

Types of Printers

Printer दो Types का होता है|

  1. Impact Printers
  2. Non-Impact Printers

Impact Printers

इस प्रकार के Printer में एक छोटा Hummer या Print head Ink के Ribbon पर Strike करता है| Ribbon के नीचे वह Paper रखा जाता है, जिस पर Document को Print करना है|

Types of Impact Printers

Dot Matrix Printer

Dot Matrix Printer को एक Pin Printer के रूप में भी जाना जाता है, जिसे 1957 में IBM द्वारा जारी किया गया था। 1970 में Centronics ने पहला Dot-matrix Impact Printer बनाया था। यह Print Heads का use करके एक Ink Ribbon पर Impact करता है, जो Image और Text को बनाने के लिए हजारों छोटे-छोटे Dot Points को Print करता है| Laser और Inkjet Printer की तुलना में इसका कम use होता है, क्योंकि इसकी Printing की Speed Slow होती है, और Low Quality वाली Image Print होती हैं।

Advantages of Dot Matrix Printer

  • Dot Matrix Printer कम खर्चीला होता है, और यह बाजार में आसानी से Available होता है।
  • इसकी Prining की लागत अन्य Printers की तुलना में सबसे कम है।
  • Maintenance Cost अन्य Printers की तुलना में कम होता है।

Disadvantages of Dot Matrix Printer

  • Dot Matrix Printer की Speed Slow होती है, और इसका Output भी High Resolution का नहीं होता है।
  • यह High Noise Generate करता है।

Daisy Wheel Printer

यह 1969 में David S. Lee द्वारा Develop एक Impact Printer था| इस प्रकार के Printer में एक Metal या Plastic की Disk होती है, जो Letters, Numbers, एवं Special Characters को Store करती है, जिन्हें Printer Head का Use करके Print किया जा सकता है।

इन Printers का अब use नहीं किया जाता है, लेकिन ये 1960-70 के दशक में विशेष रूप से लोकप्रिय थे। Daisy wheel printer के साथ कई Problem थीं। सबसे पहले, print की Quality खराब थी।

Advantages of Daisy Wheel Printer

  • Low Maintenance Cost
  • Low Cost
  • Higher Print Quality
  • Reliability
  • इसमें Fanfold Paper और Heavy Paper Grade का use कर सकते हैं।
  • Dot matrix printer की तुलना में High Print Quality Provide करता है|
  • Character के Font को Easily Change किया जा सकता है।

Disadvantages of Daisy Wheel Printer

  • Print की Speed बहुत Slow है।
  • Graphics Print नहीं कर सकते।
  • Character Limit
  • DMP से Slow होता है|
  • DMP से ज्यादा Expensive होता है|

Chain Printer

इस Printer में Metal से बने Speed से घुमने वाली एक Chain होती है| जिसे Print Chain कहते है| Chain में Character होते है| Chain के हर Link में Character के Fonts होते है| इसके Print करने की Speed 300 से 3000 Line/Per Minuate है|

Non-Impact Printers

Non Impact Printer में Print Head और Paper के मध्य Contact नहीं रहता है| इसलिए इन्हे Contactless Printer भी कहते है| ये Printer Contact को Avoid के लिए इसमें Advance Technology (Ink spray, Laser) का use किया जाता है|

Types of Non-impact Printers

Inkjet Printer

एक Inkjet Printer अपेक्षाकृत कम मात्रा में High quality वाले Document Print करता है| यह Cartridge से Ink की सूक्ष्म बूंदों को सीधे Page पर छिड़क (Spray) कर Print करता है| Cartridge पूरे कागज पर आगे और पीछे चलता है| यह Document का एक समय में एक-एक करके Row को Print करता है| Inkjet Printer की Speed Normaly 1 से 20 Page/Per Minuate तक होती है| इस प्रकार के Printer में Print की Quality जितनी बेहतर होगी, Printing Speed उतनी ही Slow होगी|

Advantages of Inkjet Printer

  • Inkjet Printers में High Quality Output Produce करने की Capacity होती है।
  • ये Printer Reasonably Fast और Use में आसान हैं।
  • इस प्रकार के Printer, Warm-up Time नहीं लेते हैं।

Disadvantages of Inkjet Printer

  • Print होने में अधिक Time लग सकता है।
  • इसकी Running Cost ज्यादा है।
  • यह Highlighter Marker को Support नहीं करता है।
  • कभी-कभी, यह Empty Cartridge की Wrong Warning दे सकता है।

Laser Printer

Laser Printers को Xerox द्वारा 1960 Develope किया गया था| Laser Printer Documents को Print करने के लिए Light-Emitting Diode और Photosensitive Drums का उपयोग करते है| इस प्रकार के Printer एक समय में एक पूरे Page को print करते हैं। ये Inkjet Printer से सस्ते होते है| लेकिन इनको चलाने के High Voltage Power Supply की जरूरत होती है| क्योंकि Low Voltage की वजह से Print Quality खराब हो जाती है| इस प्रकार के Printers की Speed बहुत Fast होती है। Laser Printer की Speed 4 से 50 Page/Per Minuate से अधिक होती है| Laser Printer के Commercial Model की Speed 1000 Page/Per Minuate से अधिक होती है|

Advantages of a Laser Printer

  • इस प्रकार के Printer की Paper Capacity अधिक होती है।
  • यह Inkjet Printer से कम खर्चीला होता है।
  • इसमें Document को तेजी से Print करने की क्षमता होती है।

Disadvantages of a Laser Printer

  • Laser Printer को Warm-up Time की आवश्यकता हो सकती है।
  • Laser Printer भारी होते हैं, क्योंकि उन्हें Laser technology और Imaging Drum की आवश्यकता होती है।
  • Laser Printer को चलाने के लिए High Voltage की आवश्यकता होती है।